ऑर्बिटर से अलग होने के बाद भी 20 घंटे तक विक्रम लैंडर ऑर्बिटर के पीछे-पीछे उसी कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा। 3 सितंबर को विक्रम लैंडर अपनी नई कक्षा में पहुंचेगा। चंद्रयान-2 से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर 4 सितंबर को सबसे नजदीकी कक्षा में रहेगा और 7 सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
चंद्रमा के और करीब पहुंचा चंद्रयान-2, सफलतापूर्वक पार किया पांचवां पड़ाव चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है चंद्रयान-2 बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 1 सितंबर की शाम 6.21 बजे चंद्रयान-2 को चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में पहुंचाया था। फिलहाल चंद्रयान-2 चांद के चारों तरफ 119 किमी की एपोजी (चांद से सबसे कम दूरी) और 127 किमी की पेरीजी (चांद से ज्यादा दूरी) में चक्कर लगा रहा है।
दोपहर 12.45 से 13.45 के बीच विक्रम लैंडर, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा। इसरो वैज्ञानिक इस मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने में जुटे हैं। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से अलग होने के बाद भी करीब 20 घंटे तक विक्रम लैंडर ऑर्बिटर के पीछे-पीछे उसी कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा।
राम मंदिर विवाद: SC आज सुनेगा मुस्लिम पक्षकारों का पक्ष, आसान नहीं होगा हिंदू पक्ष के दावे 3 हिस्सों से मिलकर बना है चंद्रयान 2 आपको बता दें कि चंद्रयान-2 तीन हिस्सों से मिलकर बना है। इसमें पहला ऑर्बिटर, दूसरा विक्रम लैंडर और तीसरा प्रज्ञान रोवर। विक्रम लैंडर के अंदर ही प्रज्ञान रोवर है जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद बाहर निकलेगा।