आपको बता दें कि चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ( ISRO ) से उस समय संपर्क टूट गया था, जब वह चांद की सतह से केवल 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था।
लैंडर से संपर्क टूटते ही इसरो सेंटर के कंट्रोल रूम में बैठे वैज्ञानिकों में भारी मायूसी छा गई।
वहां मौजूद सभी लोगों के चेहरे उतर गए। हालांकि इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों की हिम्मत बढ़ाई।
इस बीच इसरो के वैज्ञानिक ने बताया कि शुरुआती दौर में माना जा रहा था कि एक थ्रस्टर से कम थ्रस्ट मिलने की वजह से लैंडर से संपर्क टूटा है, लेकिन कुछ जांच में पाया गया कि लैंडिंग के दौरान एक थ्रस्टर ने उम्मीद से ज्यादा थ्रस्ट लगा दिया।
दरअसल, वैज्ञानिक भाषा में थ्रस्टर एक छोटा रॉकेट इंजन होता है, जो किसी अंतरिक्षयान में लगाया जाता है। इसका अधिकांश प्रयोग यान के दिशा बदलने के लिए किया जाता है।
थ्रस्टर से अंतरिक्ष में यान की ऊंचाई अधिक या कम जाती है। इसरो की ओर से आए बयान के अनुसार रफब्रेकिंग के समय लैंडर विक्रम के लेग्स को हॉरिजोंटल रहना चाहिए था।
जिसके बाद फाइन ब्रेकिंग से ऐन पहले लैंडिंग सरफेस पर उसको वर्टिकल लाना था।
जांच में सामने आया है कि लैंडिग के समय थ्रस्ट उम्मीद से ज्यादा हो गया होगा, जिससे लैंडर अपना रास्ता भटक गया।