स्वदेशी तकनीक पर अधारित है लॉन्च व्हीकल चंद्रयान-2 में तीन मॉड्यूल्स शामिल हैं। इन मॉड्यूल्स का नाम ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर है। चंद्रयान-2 से जुड़ी ये लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी एमके lll स्पेस में लेकर जाएगा। चंद्रयान-2 मिशन का लॉन्च वीइकल भारत में ही बनाया गया है। यह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। चंद्रयान-2 के लैंडर को ‘विक्रम’ और रोवर को ‘प्रज्ञान’ नाम दिया गया है। रोवर ‘प्रज्ञान’ को लैंडर ‘विक्रम’ के अंदर रखा जाएगा। चांद की सतह पर विक्रम के लैंड होने पर इसे डिप्लॉय किया जाएगा।
चंद्रयान-2 लूनर मिशन को आगे बढ़ाएगा इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबिक चंद्रयान-2 ऑर्बिटर मिशन के दौरान चांद का चक्कर लगाएगा और फिर चांद के दक्षिण ध्रुव के पास लैंड करेगा। चांद की सतह पर पहुंचने के बाद यह यान 6 पहियों वाले प्रज्ञान को सतह पर छोड़ देगा। इन सभी गतिविधियों को धरती पर बैठे इसरो के वैज्ञानिक नियंत्रित करेंगे। चंद्रयान-2 मिशन भारत के लूनर मिशन को आगे ले जाने के साथ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की मदद भी करेगा।
इसरो के वैज्ञानिक के सिवन ने कहा यह अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा का एक एक्सपेरिमेंट लेजर रिफ्लेक्टर अरेज को भी साथ लेकर जाएगा। इसका इस्तेमाल अमरीकी वैज्ञानिक धरती और चांद के बीच की दूरी को मापने के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे। इस यंत्र को लैंडर से अटैच किया जाएगा। यह चंद्रमा की सतह पर लैंडर के स्थान का सटीक उल्लेख करने में सक्षम होगा।
10 साल में दूसरा मिशन बता दें कि भारत 10 साल में दूसरी बार चांद पर अपना मिशन भेज रहा है। मिशन चंद्रयान-2 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। इससे पहले चंद्रयान-1 को 2009 में भेजा था। चंद्रयान-1 में रोवर शामिल नहीं था। चंद्रयान-1 में केवल एक ऑर्बिटर और इंपैक्टर था जो चांद के साउथ पोल पर पहुंचा था।