ये कंपनी घोड़ों की एंटीबॉडी से बनाई गई कोरोनावायरस की एक नई दवा का परीक्षण कर रही है। माना जा रहा है कि यह दवा सभी परीक्षणों में सफल होती है, तो यह कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज अहम भूमिका निभाएगी।
यह भी पढ़ेंः Coronavirus Third Wave: बच्चों में बढ़ रहा संक्रमण, अमरीका-ब्रिटेन के बाद भारत पर मंडराया खतरा आईसेरा बॉयोलॉजिक अपने परीक्षण में सफल होती है तो, यह इस तरह की देश की पहली स्वदेशी दवा होगी, जिसका इस्तेमाल संक्रमण के इलाज के लिए किया जाएगा। 72 से 90 घंटे में आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती परीक्षणों में दवा की वजह से 72 से 90 घंटों के अंदर ही संक्रमितों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव हो जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती परीक्षणों में दवा की वजह से 72 से 90 घंटों के अंदर ही संक्रमितों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव हो जा रही है।
चल रहा ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण
आईसेरा फिलहाल इस दवा को लेकर ह्यूमन ट्रायल के पहले चरण में ही है। बताया जा रहा है कि अगस्त के अंत तक ये ट्रायल पूरा हो सकता है।
आईसेरा फिलहाल इस दवा को लेकर ह्यूमन ट्रायल के पहले चरण में ही है। बताया जा रहा है कि अगस्त के अंत तक ये ट्रायल पूरा हो सकता है।
घोड़ों की एंटीबॉडी से बनाई गई दवा
iSera Biological की कोरोना की दवा घोड़ों की एंटीबॉडी से बनाई गई है, जो कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज अहम भूमिका निभाएगी। सीरम इंस्टीट्यूट का सहयोग
iSera Biological कंपनी ज्यादा पुरानी नहीं है। इस अभी सिर्फ चार वर्ष का ही समय हुआ है। ऐसे में इस दवा को बनाने में पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ( Serum Institute of India ) ने भी मदद की है।
iSera Biological की कोरोना की दवा घोड़ों की एंटीबॉडी से बनाई गई है, जो कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज अहम भूमिका निभाएगी। सीरम इंस्टीट्यूट का सहयोग
iSera Biological कंपनी ज्यादा पुरानी नहीं है। इस अभी सिर्फ चार वर्ष का ही समय हुआ है। ऐसे में इस दवा को बनाने में पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ( Serum Institute of India ) ने भी मदद की है।
दावा है कि कंपनी ने एंटीबॉडीज ( Antibodies ) का एक ऐसा कॉकटेल तैयार किया है, जो कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों में संक्रमण को फैलने से रोक सकता है। यही नहीं इसके साथ ही शरीर में मौजूदा वायरस को भी खत्म कर सकता है।
अभी तक ये कंपनी एंटीसीरम प्रोडक्ट यानी सांप काटने, कुत्ते के काटने और डिप्थीरिया के इलाज में कारगर दवाएं बनाती है। लेकिन सीरम की मदद से बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा रही है।
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वहीं इस दवा को लेकर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर एनके गांगुली का कहना है कि, अब तक तो यह दवा काफी हद तक उम्मीद जगाती है, लेकिन हमें मानव परीक्षण के नतीजों का इंतजार करना चाहिए।
वहीं इस दवा को लेकर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर एनके गांगुली का कहना है कि, अब तक तो यह दवा काफी हद तक उम्मीद जगाती है, लेकिन हमें मानव परीक्षण के नतीजों का इंतजार करना चाहिए।
अगर दवा सभी मानकों पर सही साबित हुई, तो यह भारत जैसे देश में कोरोना के खिलाफ जारी जंग में काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। मुझे लगता है कि बाजार में उपलब्ध इंटरनेशनल उत्पादों के मुकाबले यह दवा सस्ती भी होगी।