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ये सभी ब्रिजिंग सिस्टम (पुल) मैकेनिकल डिवाइस की तरह काम करते हैं तथा विभिन्न प्रकार की जलीय सतह (नहरें, नदियां आदि) पर 70 टन तक वजन वाले टैंक ले जाने में सक्षम हैं। इन सिस्टम्स को सेना के पास वर्तमान में मौजूद ब्रिजिंग सिस्टम्स में भी जोड़ा जा सकता है जो इनकी उपयोगिता को अधिक बढ़ा देता है। दस-दस मीटर वाले इन 12 ब्रिजिंग सिस्टम को पाकिस्तान के साथ सटी पश्चिमी सीमाओं पर उपयोग के लिए तैनात किया जाएगा। यह भी पढ़ें
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सेना अधिकारियों द्वारा दी गई सूचना के अनुसार सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम्स को आज दिल्ली कैंट में कोर ऑफ इंजीनियर्स को सौंपेंगे। सेना अधिकारियों के अनुसार इन सिस्टम्स के सेना में शामिल होने से आर्मी की मौजूदा ब्रिजिंग क्षमता कई गुणा बढ़ जाएगा और भविष्य में होने वाले किसी भी संघर्ष में एक गेम-चेंजर की भूमिका निभाएगा। भारतीय सेना के सामने आ रही हैं नई चुनौतियां
उल्लेखनीय है कि इन दिनों भारतीय सेना के सामने नित नई चुनौतियां आ रही हैं। पूर्वी सीमा पर चीन और पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के साथ बढ़ते विवाद के बीच देश में ड्रोन अटैक का भी खतरा मंडराने लगा है। ऐसे में रक्षा मंत्रालय सेना के आधुनिकीकरण पर तेजी से काम कर रहा है और सेना को स्वदेशी तकनीक के बल पर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों भारतीय सेना के सामने नित नई चुनौतियां आ रही हैं। पूर्वी सीमा पर चीन और पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के साथ बढ़ते विवाद के बीच देश में ड्रोन अटैक का भी खतरा मंडराने लगा है। ऐसे में रक्षा मंत्रालय सेना के आधुनिकीकरण पर तेजी से काम कर रहा है और सेना को स्वदेशी तकनीक के बल पर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।