लेकिन कंग का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब भारत कोरोना वायरस के खिलाफ मुश्किल लड़ाई लड़ रहा है। इस साल अप्रैल में फरीदाबाद स्थित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कोरोना के टेस्ट की अनुमति दी गई थी। इतना ही नहीं डॉ. गगनदीप कंग ने नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम सार्स-2 ( SARS-CoV-2 virus ) की जांच के लिए एंटीजन टेस्ट विकसित करने में जुटी हुई थी।
मानसून तेजी से बदल रहा है अपनी चाल, मौसम विभाग ने देश के इन राज्यों में जोरदार बारिश का अलर्ट किया जारी, जानें अपने इलाके का हाल कंग को अंतरराष्ट्रीय शोध के लिए जाना जाता है और उन्होंने भारत में बच्चों में संक्रमण के संचार, विकास और रोकथाम पर काफी शोध किया है। वह पहली भारतीय महिला हैं जिन्हें रॉयल सोसायटी लंदन का फेलो बनाया गया।
गगनदीप कंग ने जिस THSTI के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया है, वो डिपार्टमेंट मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एन्ड टेक्नोलॉजी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के अंतर्गत आता है। खास बात यह है कि गगनदीप कंग वैश्विक कंसोर्टियम कॉलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस से जुड़ी हैं ये संस्थान कोरोनावायरस की वैक्सीन विकसित कर रहा है।
रोटावायरस का टीका विकसित करने में अहम रोल
डॉ. कंग ने स्वेदशी रूप से रोटावायरस का टीका विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। कंग वेल्लोर के क्रिस्टियन मेडिकल कॉलेज के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विभाग में प्रोफेसर भी हैं।
स्कूल टीचर के पास आया आईसीएमआर का बुलावा, कोरोना वैक्सीन के लिए इस टीचर पर किया जाएगा ह्यूमन ट्रायल, जानें पिता ने इस ट्रायल को लेकर क्या कहा कोरोना वायरस की टेस्टिंग से जुड़ींउन्होंने साल 2016 में टीएचएसटीआई जॉइन किया था। हाल के दिनों में वह नोवल कोरोना वायरस की टेस्टिंग के काम से जुड़ी हुई थीं। डॉ. गगनदीप कंग के इस्तीफे के चलते कोरोना वायरस वैक्सीन की टेस्टिंग को लेकर एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है। जानकारों की मानें तो ऐसे में डॉ. कंग के इस्तीफे का असर पड़ सकता है।
आपको बता दें कि देशभर में कोरोना वायरस का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। देशभर में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 7 लाख के पार पहुंच चुकी है। वहीं देश में 18 हजार से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से चलते अपनी जान गंवा चुके हैं।