ये करार रक्षा मंत्रालय ने देश की सशस्त्र सेनाओं के लिए किया है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें ज्यादातर राइफल भारतीय वायुसेना को दी जाएंगी। भारत ने वर्ष 2019 में रूस के साथ अमेठी में ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड यानि ओएफबी के कोरबा प्लांट में 7.50 लाख एके-203 राइफल बनाने का करार किया था, लेकिन प्लांट में अब तक राइफल निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ है।
यही वजह है भारत ने 70 हजार राइफल सीधे रूस से खरीदने का फैसला किया है। AK-47 का यह सबसे अडवांस्ड वर्जन इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम ( INSAS ) असॉल्ट राइफल की जगह लेगा। INSAS का इस्तेमाल 1996 से किया जा रहा है। इन राइफल में हिमालय की ऊंचाई पर जैम और मैगजीन के क्रेक होने जैसी समस्याएं पैदा होने लगी हैं।
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भारत और रूस ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जो सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत असॉल्ट राइफलों के स्वदेशी उत्पादन के लिए रास्ता बनाएगा। भारतीय सेना को घर पर कलाश्निकोव राइफलें बनाने का फायदा होगा, जिससे विदेशों से खरीदने की निर्भरता कम होगी। 6,50,000 कलाश्निकोव 7.62 मिमी एके-103 असॉल्ट राइफलों के निर्माण की योजना है, जो वर्तमान में चल रहे इंसास और एके-47 राइफलों की जगह लेगी।
भारत और रूस ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जो सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत असॉल्ट राइफलों के स्वदेशी उत्पादन के लिए रास्ता बनाएगा। भारतीय सेना को घर पर कलाश्निकोव राइफलें बनाने का फायदा होगा, जिससे विदेशों से खरीदने की निर्भरता कम होगी। 6,50,000 कलाश्निकोव 7.62 मिमी एके-103 असॉल्ट राइफलों के निर्माण की योजना है, जो वर्तमान में चल रहे इंसास और एके-47 राइफलों की जगह लेगी।
अब जब भारतीय सेना इंसास को 6,50,000 मेड इन इंडिया एके 103 से बदलने की योजना बना रही है तो हमें एके 103 के बारे में पता होना चाहिए और यह आम एके 47 से किस तरह अलग है।
AK-47 और AK-103 के बाहरी रूप में अंतर
– AK 103 में प्लास्टिक का फर्नीचर है जबकि AK 47 में लकड़ी का फर्नीचर है इसलिए वजन कम होता है।
– AK 103 AK 47 की तुलना में थोड़ा लंबा है, इस तथ्य के कारण कि इसमें एक विस्तारित फ्लैश सप्रेसर है।
– AK 103 में प्लास्टिक का फर्नीचर है जबकि AK 47 में लकड़ी का फर्नीचर है इसलिए वजन कम होता है।
– AK 103 AK 47 की तुलना में थोड़ा लंबा है, इस तथ्य के कारण कि इसमें एक विस्तारित फ्लैश सप्रेसर है।
तकनीकी और प्रदर्शन में अंतर
– AK-103 में 3-राउंड बर्स्ट फीचर है, जिसमें फुल ऑटो और सिंगल शॉट के बीच 3 राउंड बर्स्ट फीचर हैं। पूर्ण ऑटो पर AK-47 फायरिंग एक अत्यंत अस्थिर हथियार है, जिसे लक्ष्य की ओर कुशलता से निर्देशित नहीं किया जा सकता है। वहीं AK-103 की परफॉर्मेंस ज्यादा सटीक है।
– AK-103 एक मिनट में 600 गोलियां या एक सेकंड में 10 गोलियां दाग सकती है।
– AK-103 को ऑटोमेटिक और सेमी ऑटोमेटिक दोनों ही मोड पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी मारक क्षमता 400 मीटर है, जो AK-47 से काफी ज्यादा है।
– AK 47 के 3.47 किलोग्राम (खाली वजन) के विपरीत AK 103 का वजन पूरी लोड होने के बाद 3.6 किग्रा है।
– AK-103 असॉल्ट राइफल पुराने AKM के समान 7.62×39mm M43 राउंड के लिए बनाई गई AK-74M के एडवांस रूप है।
– AK-103 को जगह के मुताबिक लोड किया जा सकता है, जैसे नाइट विजन और टेलीस्कोप, साथ ही चाकू या ग्रेनेड लॉन्चर शामिल हैं।
– लकड़ी या धातु के बजाय इसमें प्लास्टिक का इस्तेमाल ज्यादा है, जिनका यूज पिस्तौल आदि में मजबूत पकड़ के लिए होता है।
– AK-103 में 3-राउंड बर्स्ट फीचर है, जिसमें फुल ऑटो और सिंगल शॉट के बीच 3 राउंड बर्स्ट फीचर हैं। पूर्ण ऑटो पर AK-47 फायरिंग एक अत्यंत अस्थिर हथियार है, जिसे लक्ष्य की ओर कुशलता से निर्देशित नहीं किया जा सकता है। वहीं AK-103 की परफॉर्मेंस ज्यादा सटीक है।
– AK-103 एक मिनट में 600 गोलियां या एक सेकंड में 10 गोलियां दाग सकती है।
– AK-103 को ऑटोमेटिक और सेमी ऑटोमेटिक दोनों ही मोड पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी मारक क्षमता 400 मीटर है, जो AK-47 से काफी ज्यादा है।
– AK 47 के 3.47 किलोग्राम (खाली वजन) के विपरीत AK 103 का वजन पूरी लोड होने के बाद 3.6 किग्रा है।
– AK-103 असॉल्ट राइफल पुराने AKM के समान 7.62×39mm M43 राउंड के लिए बनाई गई AK-74M के एडवांस रूप है।
– AK-103 को जगह के मुताबिक लोड किया जा सकता है, जैसे नाइट विजन और टेलीस्कोप, साथ ही चाकू या ग्रेनेड लॉन्चर शामिल हैं।
– लकड़ी या धातु के बजाय इसमें प्लास्टिक का इस्तेमाल ज्यादा है, जिनका यूज पिस्तौल आदि में मजबूत पकड़ के लिए होता है।
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जब फिर से 7.62 हथियारों की जरूरत पड़ी, तो उन्होंने AK-103 का निर्माण शुरू किया।
जब फिर से 7.62 हथियारों की जरूरत पड़ी, तो उन्होंने AK-103 का निर्माण शुरू किया।