सबसे ज्यादा खास बात तो ये है कि ये भारत की पहली और सबसे प्राचीन मस्जिद है। इस मस्जिद को बनाने के पीछे की कहानी काफी रोचक है। हुआ कु छ यूं कि एक बार एक राजा ने अपने सपने में चांद के दो टुकड़ों को देखा था। दूसरे दिन उस राजा ने इस बारे में अप्टन अरब व्यापारी मीटर को बताया तो इस पर उसने कहा कि ये कोई आम सपना नहीं बल्कि ये पैगंबर का संदेश है।
इस बात को सुनते ही राजा ने मदीना की यात्रा की ठानी और वहां जाकर इस्लाम धर्म ग्रहण किया। राजा जब वापस लौट कर आ रहा था तो रास्ते में उसकी मौत हो गई। हांलाकि मदीना की यात्रा से पहले राजा अपने मित्र मलिक बिन दीनार को अपनी जमीन पर मस्जिद बनाने और इस्लाम को लोगों तक पहुंचाने की हिदायत देकर जाता है।
राजा की मृत्यु के बाद कोडंगलूर में इस मस्जिद का निर्माण किया गया। इस मस्जिद को केरल के ही एक मंदिर की वास्तुशिल्प के आधार पर बनाया गया है। ये मस्जिद विभिन्न धर्मों का एक अनोखा संगम है क्योंकि एक खास एंगेल से देखने पर ये एक मंदिर जैसा लगता है। दक्षिण के मंदिरों की तर्ज पर इस मस्जिद में भी एक तालाब देखने को मिलता है। इस मस्जिद में एक शीशम का मंच है जिस पर काफी बेहतरीन नक्काशी की गई है। मस्जिद के अंदर प्रवेश करने पर एक सफेद संगमरमर का टुकड़ा देखने को मिलता है। लोगों का ऐसा मानना है कि इसे मक्का से लाया गया है।
मस्जिद के अंदर बीचोंबीच तेल का एक जलता हुआ दिया रखा गया है। विभिन्न धर्म के लोग पवित्र उत्सवों पर इस दिए के लिए तेल लाते हैं। यहां पर गैर मुस्लिम बच्चे भी इमाम के पास आकर शिक्षा की दुनिया में अपना पहला कदम रखने की तालीम लेने आते हैं।प्रधानमंत्री मोदी से लेकर पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम तक यहां आ चुके हैं।