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Independence Day 2020: अंग्रजों की एक चाल ने बदला इतिहास, वरना 15 अगस्त नहीं इस दिन आजाद होता भारत

अंग्रेज अपनी चाल ना चलते तो देश की Independence की तारीख 15 August नहीं होती
लुई माउंटबेटन के आते ही India को सत्ता सौंपने की तारीख में हो गया बड़ा बदलाव
India Independence Bill के मुताबिक भी भारत ने आजादी की कोई ओर ही तारीख को चुना था

Aug 12, 2020 / 01:49 pm

धीरज शर्मा

अंग्रेज नहीं चलते अपने एक चाल तो 15 अगस्त की जगह दूसरी तारीख पर मन रहा होता आजादी का जश्न

नई दिल्ली। भारत इस वर्ष 15 अगस्त ( 15 August ) को अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस ( Independence Day 2020 ) मनाएगा। हालांकि कोरोना वायरस ( Coronavirus ) के चलते इस बार माहौल कुछ अलग होगा। लेकिन देशवासियों में आजादी का जज्बा वही रहेगा। दरअसल 15 अगस्त का दिन वो दिन है जो हर भारतीय के जेहन में बसा हुआ है। इस दिन देश ने आजादी की पहली सांस ली थी। अंग्रजों की गुलामी से मुक्ति और नए भारत की ओर पहला कदम इसी दिन बढ़ाया गया था।
यही वजह है कि 15 अगस्त की तारीख भारतीय इतिहास ( Indian History ) की एक ऐसी तारीख बन गई जिसमें हर कोई देश के प्रति जोश और जज्बे से लबरेज रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंग्रेज अपनी एक चाल ना चलते तो देश की आजादी की तारीख 15 अगस्त नहीं बल्कि कुछ और ही होती। आईए जानते हैं देश किस दिन आजाद होने वाला था और देश के इतिहास में वो कौनसी तारीख थी जो आजादी के लिए जानी जाती।
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स्वतंत्रता के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हिंदुस्तान ने वर्ष 1930 में ही कांग्रेस ( Congress ) ने आजादी के लिए 26 जनवरी का दिन चुन लिया था। लेकिन इंडिया इंडिपेंडेंस बिल ( India Independence Bill ) के मुताबिक ब्रिटिश प्रशासन ( British Administration ) ने इस तारीख की बजाय 3 जून 1948 को भारत की आजादी का दिन तय किया।
ऐसे में हर किसी की नजर इन तारीख पर टिकी हुई थी। फरवरी 1947 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट रिचर्ड एटली ने इस तारीख की घोषणा भी कर दी। लेकिन अंग्रेजों की एक चाल ने सबकुछ बदल दिया।
जैसे ही माउंटबेटन की एंट्री हुई तो सारी घोषणाएं एक तरफ रह गईं। दरअसल 1947 में ही लुई माउंटबेटन को भारत का आखिरी वायसराय नियुक्त किया गया था। माउंटबेटन को ही भारत को सत्ता सौंपने की जिम्मेदारी दी गई। इससे पहले माउंटबेटन बर्मा के गवर्नर पद पर थे।
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ऐसे चली अंग्रेजों ने नई चाल
इतिहासकारों की मानें तो माउंटबेटन के आने के बाद देश की आजादी की तारीख को लेकर बड़ा बदलाव हो गया। दरअसल माउंटबेटन ब्रिटेन के लिए 15 अगस्त की तारीख को शुभ मानते थे। इसकी भी बड़ी वजह थी। 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी सेना ने सरेंडर कर दिया था। उस दौरान माउंटबेटन अलाइड फोर्स के कमांडर थे।
यही बड़ी वजह रही जब माउंटबेटन ने ब्रिटिश प्रशासन से बात करके भारत को सत्ता सौंपने की तारीख 3 जून 1948 से बदलकर 15 अगस्त 1947 कर दी।

ये भी है एक कारण
दरअसल भारत की आजादी को लेकर अलग-अलग इतिहासकारों ने भारत की आजादी की तारीख बदलने को लेकर कुछ और भी कारण रखे। इसके मुताबिक ब्रिटिशों को इस बात की भनक लग गयी थी कि मोहम्मद अली जिन्ना जिनको कैंसर था और वो ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहेंगे।
इसी को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजों को चिंता थी कि अगर जिन्ना नहीं रहे तो महात्मा गांधी अलग देश न बनाने के प्रस्ताव पर मुसलमानों को मना लेंगे। ऐसे में अंग्रेजों ने भारत सत्ता सौंपने के लिए 3 जून 1948 को काफी दूर मानते हुए इसे 15 अगस्त 1947 को ही करने की चाल चली।
जिन्ना की चिंता क्यों?
अंग्रेजों की चिंता का कारण जिन्ना की बीमारी नहीं बल्कि खुद जिन्ना थे। अंग्रेजों ने उन्हीं के चेहरे को सामने रखकर तो भारत को हिंदू मुस्लिम दो देशों में बांटने की साजिश रची थी। ऐसे में उन्हें डर था कि सत्ता हस्तांतरण से पहले ही जिन्ना की मौत हो गई तो महात्मा गांधी देश को बंटने से बचा लेंगे। यही वजह रही कि एक और शातिर चाल चलते हुए अंग्रेजों ने देश की आजादी की तारीख ही बदल दी।
अपनी चाल के साथ ही अंग्रेजों ने भारत को 15 अगस्त 1947 को आजाद करते हुए सत्ता सौंप दी। अंग्रेजों की शंका सही साबित हुई और कुछ महीनों बाद ही जिन्ना की मौत हो गई।

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