जानकारी के मुताबिक आज ये सैनिक भी पीछे लौट जाएंगे। इसी तरह भारतीय सैनिक ( Indian Army ) भी फिंगर-4 से फिंगर-3 की तरफ पीछे आए हैं। फिंगर-4 से भारतीय सैनिकों का पीछे हटना चौंकाने वाला कदम है। फिंगर-4 हमेशा ही भारत के कंट्रोल में रहा ( Finger-4 has always been under India’s control ) है। भारतीय सैनिक फिंगर-4 से फिंगर-8 तक पेट्रोलिंग करते रहे हैं। भारत के मुताबिक एलएसी फिंगर-8 से होकर गुजरती है और भारत का दावा फिंगर-8 तक है। चीनी सैनिक फिंगर-4 पर आकर डट गए थे। फिर भारतीय सैनिक भी उनके सामने थे।
50 MW रीवा सोलर पावर प्लांट राष्ट्र को समर्पित, पीएम मोदी ने कहा – MP स्वच्छ और सस्ती बिजली का HUB बनेगा बताया जा रहा है कि ये बातें डिसइंगेजमेंट की शर्तों के मुताबिक चीनी सैनिक फिंगर-4 से फिंगर-5 पर गए हैं और भारतीय सैनिक भी पीछे हुए हैं। भारतीय सेना के पीछे हटने को लेकर एक अधिकारी ने कहा कि यह अभी अस्थायी स्टेप ( Temporary step ) है। यह इसलिए उठाया गया ताकि दोनों देशों के सैनिक एकदम आमने सामने न रहें और किसी हिंसक झड़प की संभावना से बचा जा सके।
डिसइंगेजमेंट की शर्त में दोनों देशों ने यही तय किया था कि जहां-जहां पर दोनों देशों के सैनिक आमने सामने हैं वहां से वह दोनों पीछे हटेंगे। इसी के तहत गलवान ( Galwan Valley ) , गोगरा, हॉट स्प्रिंग एरिया और फिंगर-4 पर डिसइंगेजमेंट हुआ है।
कोरोना संकट : यूपी और बिहार में फिर से लॉकडाउन, जानें क्या खुलेगा और क्या रहेगा बंद गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग में डिसइंगेजमेंट पूरा गलवान इलाके में पीपी 14, 15 और 17ए और गोगरा और हॉट स्प्रिंग एरिया में डिसइंगेजमेंट पूरा हो गया है। यहां पर दोनों देशों के सैनिक अब एक दूसरे से करीब 2-3 किलोमीटर दूर है। यहां बफर जोन बन गया है।
सूत्रों के मुताबिक पीपी-14 और पीपी-15 में वेरिफिकेशन का काम भी पूरा हो गया है। दोनों देशों ने वेरिफाई किया है कि बातचीत के हिसाब से सैनिक पीछे गए हैं। जबकि गोगरा में अभी वेरिफिकेशन होना है।
अगले हफ्ते होगी कमांडर स्तर की मीटिंग अब अगले हफ्ते फिर से दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की मीटिंग होनी यह कोर कमांडर स्तर की चौथी मीटिंग होगी। इससे पहले 30 जून को कोर कमांडर स्तर की मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में पैंगोंग एरिया पर डिसइंगेजमेंट की बात तो होगी। साथ ही सबसे अहम बात होगी सैनिकों की संख्या कम करने की।
अब डिएस्केलेशन पर होगी बात डिसइनगेजमेंट के बाद अब दूसरा चरण डिएस्केलेशन का होगा। इसमें सेना की तैनाती कम करने के लिए टाइमलाइन पर बात होगी। भारी संख्या में तैनात सैनिकों को सामान्य स्थिति में लाने में कई महीनों का वक्त लग जाएगा।
ऐसा इसलिए कि अभी असल चुनौती बाकी है। युद्ध स्तर पर तैनात सैनिकों को कम करना और तोप, टैंक, मिसाइल, फाइटर जेट और दूसरे सैन्य साजो सामान को एलएसी से पीछ कर सामान्य जगहों पर तैनात करना असली टास्क है।
डेपसांग में सेना आमने-सामने नहीं हैं उन्होंने बताया कि अभी डेपसांग एरिया ( Depsang Area ) में कोई बात नहीं हुई है क्योंकि यहां पर सैनिक आमने सामने नहीं है। यहां दोनों तरफ से सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई है। कोर कमांडर स्तर ( Core Commander Leval Talk ) की मीटिंग में यहां पर भी सैनिकों की बड़ी तैनाती कम करने पर बात होगी।