WHO ने दी सबसे बड़ी खुशखबरी, कोरोना वैक्सीन पहुंच गई अंतिम चरण में ताजा जानकारी के मुताबिक रविवार को इस इलाके में दोनों सेनाएं दो किलोमीटर पीछे हट गईं। बीते माह हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों पक्षों के बीच कई चरणों की चर्चा हुई और कोर कमांडर की मीटिंग्स में सहमति के बाद भारतीय और चीनी सैनिक पीछे हट गए हैं। इसके साथ ही सीमा के दोनों ओर कुल चार किलोमीटर के दायरे में ‘नो-मेंस जोन’ बना दिया गया है। अब दोनों ही सेनाएं इस दुर्गम इलाके में एक-दूसरे द्वारा की गई तैनाती नहीं देख पाएंगे।
वहीं, सूत्रों के मुताबिक आमतौर पर एलएसी ( Line of Actual Control ) के पास भारतीय सेना ( Indian army ) की दो डिवीजन यानी छह ब्रिगेड तैनात की जाती है। हालांकि बीते माह की हिंसक झड़प ( india china standoff galwan valley ) के बाद सेना ने तीन अतिरिक्त ब्रिगेड तैनात कर दी हैं। एक ब्रिगेड में करीब 3,000 सैनिक और सहायक होते हैं।
सूत्रों के मुताबिक तीन अतिरिक्त ब्रिगेडों के लिए पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश से तकरीबन 10,000 सैनिक लाए गए हैं। एलएएसी के पास सेना की तीन डिविजन की तैनाती 14 कोर कमान के अंतर्गत की गई है। इस कमान को 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान स्थापित किया गया था। भारतीय सेना की देश में यह सबसे बड़ी कोर कमान है। 2017 में पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक ( surgical strike ) में अहम भूमिका निभाने वाले कुछ पैरा स्पेशल फोर्स भी लद्दाख में भेजे गए हैं।
सूत्रों ने आगे बताया कि गलवान घाटी की हिंसक झड़प के बाद से भारतीय सेना ने यहां पर सैन्य बलों व हथियारों की तैनाती बढ़ा दी है। सेना ने अमरीका से खरीदी गई M-777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर को भी यहां पर तैनात कर दिया है। जबकि भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C-17 ग्लोबमास्टर 3 का इस्तेमाल सैनिकों को एयरलिफ्ट करने, इन्फेंट्री कॉम्बैट वाहनों और टी-72/टी-90 जैसे भारी टैंक को लाने-ले जाने में किया गया है। इसके अलावा सेना रूसी SU-30 फाइटर, MIG-29 जेट, इल्यूशिन-76 हैवीलिफ्ट एयरक्राफ्ट, N-32 ट्रांसपोर्ट विमानों, MI-17 यूटिलिटी हेलिकॉप्टरों और BMP-2/2 के इन्फेंट्री कॉम्बैट वाहनों का इस्तेमाल कर रही है।
कोरोना को बोलेगी गुडबाय, केवल इस चीज के साथ एक कप चाय! सूत्रों के मुताबिक नेवी के P-81 एयरक्रॉफ्ट का इस्तेमाल ऊंचे इलाकों की निगरानी के लिए किया जा रहा है। जबकि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित स्वदेशी मिसाइल रक्षा प्रणाली आकाश का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
लद्दाख में तैनाती से भारतीय सेना काफी संतुष्ट, आश्वस्त और बुलंद हौसले वाली हो गई है। सेना के एक सूत्र ने बताया कि उन्हें वह सब कुछ मिल गया है, जिसकी जरूरत एक आधुनिक सेना को होती है। इससे चीन की किसी भी आक्रामकता का मुहंतोड़ जवाब दिया जा सकता है।