भारत-चीन सीमा के इस इलाके में आज तक नहीं हुआ कोई संघर्ष, एक बार इलाका देख लिया तो फिर.. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दो शनिवार को यह जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों ने दी। उन्होंने बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा ( india-china border issue ) पर तैनात सभी कमांडरों के हाथ अब बंधे नहीं होंगे। यह अधिकारी हथियारों का इस्तेमाल करने संबंधी प्रतिबंध के नियम में नहीं बंधे रहेंगे। “असाधारण परिस्थितियों” से निपटने के लिए उनके पास सभी संसाधनों का इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार होगा।
दरअसल, बीते सोमवार को पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी ( Tension In Galwan Valley ) में भारत-चीन सेनाओं के बीच करीब तीन घंटे तक चली हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कमांडिग अधिकारी (कर्नल) समेत 20 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद भारतीय सेना को अपने नियम में बड़ा बदलाव करना पड़ा है।
इस झड़प ( INDIA CHINA STANDOFF ) में चीन के सैनिकों ( chinese soldiers ) के मारे जाने की भी पुष्टि की गई है। हालांकि चीन की तरफ से इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। वहीं, कई मीडिया रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि कि चीन के 30 से 40 सैनिक मारे गए हैं।
पीएम मोदी ने जताई थी सहमति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बीते 19 जून आयोजित सर्वदलीय बैठक में बताया था कि अब सेनाओं को जरूरत पड़ने पर कार्रवाई के लिए पूरी आजादी दी गई है। उन्होंने कहा था कि भारत, शांति और मित्रता चाहता है, लेकिन अपनी संप्रभुता की रक्षा सर्वोपरि है। ऐसे में हमने एक तरफ सेना को अपने स्तर पर उचित कदम उठाने की आजादी दी है। वहीं दूसरी तरफ रणनीतिक माध्यमों से भी चीन को अपनी बात बिल्कुल स्पष्ट कर दी है। चीन द्वारा एलएसी पर की गई कार्रवाई से पूरा देश आहत और आक्रोशित है।
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समझौते से बंधे थे जवानों के हाथ दरअसल चीन के साथ हिंसक झड़प में शहीद 20 भारतीय सैनिकों के पास हथियार तो थे, लेकिन दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझौतों के चलते वे इनका इस्तेमाल नहीं कर सके। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस संबंध में बताया था कि भारतीय सैनिकों ने हथियारों का इस्तेमाल करने से परहेज किया। वे 1996 और 2005 के दो द्विपक्षीय समझौतों से बंधे थे।
समझौते से बंधे थे जवानों के हाथ दरअसल चीन के साथ हिंसक झड़प में शहीद 20 भारतीय सैनिकों के पास हथियार तो थे, लेकिन दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझौतों के चलते वे इनका इस्तेमाल नहीं कर सके। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस संबंध में बताया था कि भारतीय सैनिकों ने हथियारों का इस्तेमाल करने से परहेज किया। वे 1996 और 2005 के दो द्विपक्षीय समझौतों से बंधे थे।
दरअसल, वर्ष 1996 के समझौते के मुताबिक एलएसी के साथ सीमा क्षेत्रों में दोनों ओर से तैनात किसी भी सशस्त्र बल को उनके संबंधित सैन्य ताकत के हिस्से के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। कोई भी पक्ष दूसरे पक्ष पर हमला करने या भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को खतरे में डालने वाली सैन्य गतिविधियों में संलग्न नहीं होगा।