Pangong Tso पर यथास्थिति बनाने पर नहीं बनी सहमति, भारत-चीन सैन्य वार्ता रही बेनतीजा
भारत-चीन सीमा विवाद के बीच पैंगोंग त्सो ( Pangong Tso Dispute ) पर चीन की ताजा हिमाकत ने माहौल कर दिया गर्म।
बुधवार को दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों ( India China Military Talks ) के बीच हुई वार्ता का नहीं निकला कोई हल।
अभी जारी रहेगी दोनों देशों के बीच बातचीत, दोनों पक्ष डाल रहे सेना हटाने का दबाव।
India and China military level talks inconclusive on Pangong Tso
नई दिल्ली। सीमा पर जारी विवाद के बीच बुधवार को हुई भारत और चीन के बीच सैन्य वार्ता ( India China Military Talks ) में बेनतीजा साबित हुई और इसका कोई समाधान नहीं निकल सका। हालांकि सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच वार्ता आगे जारी रहेगी। चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा हाल ही में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिशों के बाद दोनों देशों के बीच और भी तनाव बढ़ गया है और इसे समाप्त करने के लिए सैन्य वार्ता की जा रही है।
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो ( Pangong Tso Dispute ) में यथास्थिति को बदलने की कोशिश में चीन द्वारा की गई भड़काऊ सैन्य हरकतों के बाद दोनों देश बीते तीन दिनों से वार्ता में लगे हुए हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक दोनों देशों के ब्रिगेड कमांडर स्तर के अधिकारियों ने चुशुल में मुलाकात की थी।
पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे के तीन विवादास्पद इलाकों में हुए ताजा घटनाक्रम के बाद दोनों देश अब विचार-विमर्श में लगे हुए हैं। ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप के आसपास के इलाकों में चीन द्वारा तैनाती बढ़ाए जाने को लेकर भारत ने चिंता जताई है। इतना ही नहीं भारत ने भारतीय क्षेत्र में थाकुंग अड्डे के करीब चीन से अपनी सेना की तैनाती को पूरी तरह से हटाने को भी कहा है।
वहीं, चीन की सेना के जवानों को पीछे करने के लिए भारतीय सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर रेजांग ला से करीब ढाई से तीन किलोमीटर की दूरी पर रेचिन ला पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
बीते 31 अगस्त को चीनी सैनिकों द्वारा उकसाने वाली कार्रवाई की गई थी। इसकी वजह यह है कि भारतीय सैनिकों ने इससे पहले वहां के ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर पहुंच स्थापित कर ली थी, ताकि पीएलए द्वारा जमीन पर कब्जा जमाने वाले मंसूबों को विफल किया जा सके।
29 और 30 अगस्त की रात को चीनी सैनिकों ने दोनों देशों के बीच हुई पूर्व सहमति का उल्लंघन किया था। दरअसल, पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के दौरान हुई सैन्य वार्ता में इस बात पर सहमति व्यक्त की गई थी कि किसी भी देश की सेना दूसरे के इलाके में नहीं जाएगी और उकसाने वाली कार्रवाई नहीं करेगी।
बता दें कि 29-30 अगस्त की रात को पैंगोंग त्सो झील इलाके में भारतीय सेना से मुंह की खाने की बाद से चीन बिलबिला रहा है। चीन की सेना ने अब भारत से आग्रह किया है कि वह तनाव कम करने के लिए सीमा पर अपनी सेना को तुरंत कम करे। जबकि इससे पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने पैंगोंग त्सो झील के पास यथास्थिति को बदलने की कोशिश किए जाने के भारतीय सेना के आरोप को खारिज कर दिया था।
भारत ने चीन से कहा है कि वो पैंगोंग त्सो इलाके से अपने सैनिकों को पूरी तरह से हटा ले, लेकिन चीन ने वहां से हिलने से इनकार कर दिया है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों की सेनाएं करीब चार महीने से आमने-सामने हैं और दोनों देशों के बीच गतिरोध खत्म नहीं हो पाया है। कई चरणों की वार्ता के बावजूद कोई सफलता नहीं मिल सकी है और गतिरोध अभी भी जारी है।
गौरतलब है कि बीते 15 जून को गलवान घाटी में हुई ऐतिहासिक हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इस झड़प में चीन ने अपने सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि तो की है, हालांकि अभी तक उनकी संख्या का खुलासा नहीं किया है।