देशवासियों के जहन में कोई और ही तारीख थी। कांग्रेस ने करीब 17 वर्ष पहले 1930 से ही स्वतंत्रता दिवस की तारीख तय कर दी थी। इंडिया इंडिपेंडेंस बिल के मुताबिक ब्रिटिश प्रशासन ने सत्ता हस्तांतरण के लिए 3 जून 1948 की तारीख तय की गई थी।
लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि करीब एक वर्ष पहले ही आजादी का दिन 15 अगस्त 1947 चुन लिया गया। जानते हैं इसके पीछे क्या रही अहम वजह। यह भी पढ़ेंः Independence Day 2021: स्वतंत्रता दिवस पर करीब 90 मिनट बोले पीएम मोदी, नेहरू से की शुरुआत, युवाओं पर खत्म देश स्वतंत्रता दिवस ( Independence Day 2021 ) की 75वीं वर्षगांठ का जश्न मनाने की तैयारी कर रहा है। 15 अगस्त की ये तारीख भारतीय की पहली पसंद नहीं थी। बल्कि 3 जून 1948 के दिन की घोषणा के बाद से ही भारतीयों को यही तारीख पसंद थी।
दरअसल फरवरी 1947 में नए चुनकर आए ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट रिचर्ड एटली ने घोषणा की थी कि, सरकार तीन जून 1948 से भारत को पूर्ण आत्म प्रशासन का अधिकार प्रदान कर देगी। फरवरी 1947 में ही लुई माउंटबेटन को भारत का आखिरी वायसराय नियुक्त किया गया था। माउंटबेटन पहले पड़ोसी देश बर्मा के गवर्नर हुआ करते थे। उन्हें ही व्यवस्थित तरीके से भारत को सत्ता हस्तांतरित करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी। माउंटबेटन ने सत्ता संभालते ही भारत की आजादी की तारीख को बदल दिया। इसके पीछे दो वजह मानी जाती हैं।
माउंटबेटन 15 अगस्त को मानता था शुभ
कुछ इतिहासकारों के मुताबिक माउंटबेटन ब्रिटेन के लिए 15 अगस्त की तारीख को शुभ मानता था। क्योंकि सेकंड वर्ल्ड वॉर में 15 अगस्त 1945 को जापानी सेना ने आत्मसमर्पण किया था। इसलिए माउंटबेटन ने ब्रिटिश प्रशासन से बात करके भारत को सत्ता हस्तांतरित करने की तिथि 3 जून 1948 से 15 अगस्त 1947 कर दी।
कुछ इतिहासकारों के मुताबिक माउंटबेटन ब्रिटेन के लिए 15 अगस्त की तारीख को शुभ मानता था। क्योंकि सेकंड वर्ल्ड वॉर में 15 अगस्त 1945 को जापानी सेना ने आत्मसमर्पण किया था। इसलिए माउंटबेटन ने ब्रिटिश प्रशासन से बात करके भारत को सत्ता हस्तांतरित करने की तिथि 3 जून 1948 से 15 अगस्त 1947 कर दी।
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जिन्ना के मरने का डर
3 जून 1948 के बजाय 15 अगस्त 1947 को ही सत्ता हस्तांतरित करने को लेकर इतिहासकारों का एक वर्ग अलग कारण मानता है। इनके मुताबिक ब्रिटिशों को इस बात की भनक लग गयी थी कि, मोहम्मद अली जिन्ना जिनको कैंसर था और वो ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहेंगे।
जिन्ना के मरने का डर
3 जून 1948 के बजाय 15 अगस्त 1947 को ही सत्ता हस्तांतरित करने को लेकर इतिहासकारों का एक वर्ग अलग कारण मानता है। इनके मुताबिक ब्रिटिशों को इस बात की भनक लग गयी थी कि, मोहम्मद अली जिन्ना जिनको कैंसर था और वो ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहेंगे।
ऐसे में अंग्रेजों को चिंता थी कि जिन्ना नहीं रहे तो महात्मा गांधी अलग देश न बनाने के प्रस्ताव पर मुसलमानों को मना लेंगे। यही वजह थी कि आननफानन में माउंटबेटन ने 15 अगस्त 1947 को ही आजादी की तारीख तय कर दी।