हमें आजादी कैसे मिली
अंग्रेजों ने लंबे समय तक भारत पर अपना राज किया और भारतीयों को अपना गुलाम बनाकर रखा। साल 1857 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों ने एक बहुत बड़े क्रांति की शुरुआत की जो बाद में काफी निर्णायक साबित हुई। बगावत एक असरदार पूरे देश में देखने को मिला। परिणामस्वरूप कई संगठन उभर कर सामने आए। देश को अंग्रेेजों मुक्त करवाने के लिए देश के वीर सपूत आगे आए और अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेजों भिड़ गए। इसमें कई वीर सपूत शहीद हुए, कई नेताओं को जेल जाना पड़ा और तब जाकर कहीं हमें ये आजादी मिली। 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ।
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आजादी के लिए लाखों लोगों ने दी थी कुर्बानी
देश को आजादी दिलाने के लिए लाखों वीरों ने अपने प्राणों की कुर्बानी दी और काफी संघर्ष किया। देश को आजाद कराने में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, बालगंगाधर तिलक, सुखदेव, सरदार वल्लभभाई पटेल, गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी जैसे अनेक वीरों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। जिन्होंने अंग्रेजों को खदेड़ने में जी जान लगा दिया। आज हम स्वतंत्रता सेनानियों की वजह से आजाद हैं अगर उन्होंने आजादी की पहल नहीं की होती तो आज भी हम किसी अंग्रेजो के गुलाम होते।
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स्वतंत्रता दिवस का इतिहास
15 अगस्त, 1947 में ब्रिटिश शासन से भारत की आजदी मिल गई। यह भारत के पुनर्जन्म जैसा है। यह वो दिन है जब अंग्रेजों ने भारत को छोड़ दिया और इसकी बागडोर हिन्दुस्तानी नेताओं के हाथ में आई। 15 अगस्त, 1947 को पहली बार देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराया और भाषण दिया। उस दिन से लगातार हर साल 15 अगस्त के दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराते हैं और देश की जनता को संबांधित करते है।