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उम्र से जुड़ा है हमारा इम्यून सिस्टम, जानिए कुछ खास बातें

Immune System associated with age: ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता और उम्र के बीच संबंध को लेकर एक ताजा शोध के चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं।

Jul 22, 2021 / 08:44 pm

Ashwin Sharma

Immune System associated with age

नई दिल्ली। ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी से पता चलता है कि वृद्ध लोगों में कोरोना वायरस से लड़ने के खिलाफ कम एंटीबॉडी होती हैं। ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी की स्टडी में बताया गया की एंटीबॉडी ब्लड प्रोटीन होते हैं जो संक्रमण से बचाने के लिए हमारी बॉडी के अंदर ही इम्यून सिस्टम ( Immune System associated with age ) द्वारा बनाए जाते हैं। अगर एसा माने तो इन्हें SARS-CoV-2 संक्रमण से सुरक्षा में प्रमुख खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है।
OHSU स्कूल ऑफ मेडिसिन में माइक्रो माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर Fikadu Tafesse ने कहा कि, “हमारी पुरानी आबादी संभावित रूप से वेरिएंट के लिए अतिसंवेदनशील है, भले ही उन्हें टीका लगाया गया हो।” आगे वो इस बात पर जोर देकर कहते हैं कि भले ही उन्होंने वृद्ध लोगों में कम एंटीबॉडी रिस्पॉन्स को मापा, फिर भी टीका सभी उम्र के अधिकांश लोगों में संक्रमण और गंभीर बीमारी को रोकने के लिए एक हद तक काफी प्रतीत होता है।
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टैफेसे आगे कहते हैं, “अच्छी खबर यह है कि हमारे टीके वास्तव में मजबूत हैं। टीकाकरण वायरस के फैलने की गति को कम करता है और नए और संभावित रूप से अधिक संक्रमणीय रूपों को कम करता है, विशेष रूप से वृद्ध लोगों के लिए जो संक्रमण के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। जितने अधिक लोगों को टीका लगाया जाता है, उतना ही कम वायरस फैलता है। वृद्ध लोग पूरी तरह से तब तक सुरक्षित नहीं हैं जबतक की उनके आस-पास के लोगों का टीकाकरण नहीं हो जाता।” अंत में वह कहते हैं कि समुदाय की रक्षा के लिए सभी को टीकाकरण की आवश्यकता है।
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शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के खिलाफ फाइजर वैक्सीन की दूसरी खुराक के दो सप्ताह बाद 50 लोगों के रक्त में immune response की जांच की। उन्होंने प्रतिभागियों को अलग अलग एज ग्रुप में बांटा और फिर टेस्ट ट्यूबों में उन्होंने उनके ब्लड की जांच की। जांच में “जंगली-प्रकार” के SARS-CoV-2 वायरस के नए वेरिएंट के बारे में पता चला है। इसे ब्राजील में उत्पन्न होने वाले P.1 संस्करण (जिसे गामा के रूप में भी जाना जाता है) से रूबरू कराया।
OHSU स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर के सह-लेखक मार्सेल कर्लिन ने कहा, “बुजुर्गो, युवाओं की तुलना में वेरिएंट के लिए अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। वैक्सीन लगवाना अत्यंत आवश्यक है। चाहे वो किसी भी एज ग्रुप का व्यक्ती क्यों ना हो। यह हो सकता है कि वृद्ध लोगों मे रोग प्रतिरोधक क्षमता औरों की तुलना से कम हो। लेकिन वह फिर भी उनके लिए लाभदायक साबित होगा।”

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