OHSU स्कूल ऑफ मेडिसिन में माइक्रो माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर Fikadu Tafesse ने कहा कि, “हमारी पुरानी आबादी संभावित रूप से वेरिएंट के लिए अतिसंवेदनशील है, भले ही उन्हें टीका लगाया गया हो।” आगे वो इस बात पर जोर देकर कहते हैं कि भले ही उन्होंने वृद्ध लोगों में कम एंटीबॉडी रिस्पॉन्स को मापा, फिर भी टीका सभी उम्र के अधिकांश लोगों में संक्रमण और गंभीर बीमारी को रोकने के लिए एक हद तक काफी प्रतीत होता है।
-
टैफेसे आगे कहते हैं, “अच्छी खबर यह है कि हमारे टीके वास्तव में मजबूत हैं। टीकाकरण वायरस के फैलने की गति को कम करता है और नए और संभावित रूप से अधिक संक्रमणीय रूपों को कम करता है, विशेष रूप से वृद्ध लोगों के लिए जो संक्रमण के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। जितने अधिक लोगों को टीका लगाया जाता है, उतना ही कम वायरस फैलता है। वृद्ध लोग पूरी तरह से तब तक सुरक्षित नहीं हैं जबतक की उनके आस-पास के लोगों का टीकाकरण नहीं हो जाता।” अंत में वह कहते हैं कि समुदाय की रक्षा के लिए सभी को टीकाकरण की आवश्यकता है।
-
शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के खिलाफ फाइजर वैक्सीन की दूसरी खुराक के दो सप्ताह बाद 50 लोगों के रक्त में immune response की जांच की। उन्होंने प्रतिभागियों को अलग अलग एज ग्रुप में बांटा और फिर टेस्ट ट्यूबों में उन्होंने उनके ब्लड की जांच की। जांच में “जंगली-प्रकार” के SARS-CoV-2 वायरस के नए वेरिएंट के बारे में पता चला है। इसे ब्राजील में उत्पन्न होने वाले P.1 संस्करण (जिसे गामा के रूप में भी जाना जाता है) से रूबरू कराया।
OHSU स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर के सह-लेखक मार्सेल कर्लिन ने कहा, “बुजुर्गो, युवाओं की तुलना में वेरिएंट के लिए अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। वैक्सीन लगवाना अत्यंत आवश्यक है। चाहे वो किसी भी एज ग्रुप का व्यक्ती क्यों ना हो। यह हो सकता है कि वृद्ध लोगों मे रोग प्रतिरोधक क्षमता औरों की तुलना से कम हो। लेकिन वह फिर भी उनके लिए लाभदायक साबित होगा।”