शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) ने रविवार को आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरवाद से अगले तीन साल में नए जोश से लड़ने का संकल्प व्यक्त किया। संगठन ने संयुक्त राष्ट्र के समन्वय में एकीकृत वैश्विक आतंकरोधी मोर्चा बनाने की भी वकालत की। दो दिवसीय सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र में करीब 80 देशों ने सभी तरह के आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की। एससीओ भले ही तीन साल में आतंक से निपटने की योजना बना रहा हो, लेकिन जैश, लश्क और हिज्बुल जैसे आतंकी दलों का महागठबंधन बन गया तो ये इन 80 देशों पर भारी पड़ सकता है।
दरअसल पाकिस्तान से भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आशिक बाबा ने दावा किया है कि जैश खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मनशेरा में आतंकी कैंप चला रहा है। खास बात यहै कि जिग जगह जैश का कैम्प चल रहा है उस जगह पर पहले से ही लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदी के कैंपों मौजूद हैं। ऐसे में इस खुलासे ने आतंक को लेकर एकजुट होते संगठनों की आशंका को और भी बल मिल गया है।
ISIS का सहारा
देश के खिलाफ हो रही आतंकी साजिश के इन संगठनों को पाकिस्तान से ही सरपरस्ती मिल रही है। ये तीन संगठन पाकिस्तान मिलिटरी और खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहारे पर ही भारत विरोधी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में जुटे हैं।
सरकार के खोखले दावे
सरकार भले ही घाटी में आतंकवाद के अंतिम चरण का दावा कर रही है, लेकिन हकीकत शायद इससे बिल्कुल उलट है। युद्धविराम का ऐलान किए जाने के बाद से कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में 12 आतंकवादी हमले हो चुके हैं. यहां तक कि खुफिया एजेंसियों द्वारा युद्धविराम के दौरान भी बड़े आंतकवादी हमलों के संबंध में अलर्ट भी जारी किेए गए. खुफिया एजेंसियों की आशंका के मुताबिक बीते शुक्रवार को घाटी एक बार फिर चार ग्रेनेड हमलों से दहल उठी. इसके अलावा, इस युद्धविराम के दौरान आतंकवादियों ने ६ हथियार भी छीने हैं और सुरक्षा बलों व अन्य जगहों पर 15 हमलों को भी अंजाम दिया है।
पिछले कुछ समय से आतंकवादियों के खिलाफ जोर-शोर से अभियान चलाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने शांति की पहल के तहत इस बार रमजान के दौरान एकतरफा युद्धविराम का ऐलान किया था। हालांकि, इस युद्धविराम के दौरान भी जम्मू-कश्मीर में जिस तरह से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है और उनकी तरफ से हिंसा की अन्य घटनाएं हो रही हैं, वैसे में केंद्र सरकार की इस पहल से कई लोगों को अब बहुत उम्मीद नजर नहीं आती।
जांच एजेंसियों को आशिक बाबा से उम्मीद
जांच एजेंसियां आशिक बाबा से लगातार पूछताछ कर रही है। नरगोटा सेना कैंप पर हुआ आतंकी हमले में आशिक का ही हाथ था। एजेंसियों को उम्मीद है कि आशिक बाबा इन जिहादी नेताओं की ऐक्टिविटीज की जानकारी दे सकता है। क्योंकि आशिक के पास जैश के आतंकी प्लान की जानकारी है। वो पाकिस्तान में न केवल जैश के आतंकी कैंपों में रह चुका है बल्कि संगठन के चीफ मौलाना मसूद अजहर के करीबी टॉप आतंकियों से मिल भी चुका है। ऐसे में आशिक बाबा से बड़े खुलासों की उम्मीद है। बाबा ने दावा किया है कि कश्मीर में सीमा पार से होने वाली आतंकी साजिशों को अंजाम देने की जिम्मेदारी किसी अब्दुल्ला नाम के आतंकी की है।