आईसीएमआर की ओर से किए गए Sero-Survey के तहत लोगों के ब्लड सीरम के अंदर मौजूद कोरोना एंटीबॉडीज की टेस्टिंग की गई। वैज्ञानिकों ने प्रत्येक हॉटस्पॉट एरिया से 500 सैंपल्स इकट्ठा किए। वहीं नॉन हॉटस्पॉट जिलों से 400 सैंपल लिए। सर्वे के दौरान करीब 30 हजार सैंपलों की एंटीबॉडी के लिए ELISA टेस्ट किया गया। सर्वे रिपोर्ट में सामने आया कि मुंबई, दिल्ली, पुणे और अहमदाबाद के सैंपल्स में लगभग 30 फीसदी लोगों में वायरस की एंटीबॉडीज मिली हैं। जबकि सबसे कम सबसे कम एंटीबॉडी 0.3 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में मिली हैं।
क्या होता है एंटीबॉडी?
वैज्ञानिकों के अनुसार जब कोई वायरस या बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करता है तो वो टिशूज समेत अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है। इस दौरान हमारे शरीर के अंदर कुछ प्रोटीन बनते हैं, जिनका आकार Y शेप का होता है। यह प्रोटीन वायरस और बैक्टीरिया के प्रभाव को कम करने में मदद करता हैं। इसी प्रोटीन को एंटीबॉडी कहते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार जब कोई वायरस या बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करता है तो वो टिशूज समेत अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है। इस दौरान हमारे शरीर के अंदर कुछ प्रोटीन बनते हैं, जिनका आकार Y शेप का होता है। यह प्रोटीन वायरस और बैक्टीरिया के प्रभाव को कम करने में मदद करता हैं। इसी प्रोटीन को एंटीबॉडी कहते हैं।
देश में नहीं है कम्युनिटी ट्रांसमिशन का डर
इसी सर्वे के आधार पर सरकार ने कहा कि देश में कोरोनावायरस का कोई कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने दावा किया कि शहर में कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव आए लगभग 50 प्रतिशत रोगियों में कोरोना संक्रमण के प्रसार के स्रोत की जानकारी नहीं है। ICMR के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने गुरुवार को कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ‘कम्युनिटी स्प्रेड’ शब्द की परिभाषा नहीं दी है।
इसी सर्वे के आधार पर सरकार ने कहा कि देश में कोरोनावायरस का कोई कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने दावा किया कि शहर में कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव आए लगभग 50 प्रतिशत रोगियों में कोरोना संक्रमण के प्रसार के स्रोत की जानकारी नहीं है। ICMR के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने गुरुवार को कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ‘कम्युनिटी स्प्रेड’ शब्द की परिभाषा नहीं दी है।