ICMR के मुताबिक पहले से ही परीक्षण क्षमता ( COVID-19 Testing Capacity in India ) बढ़ाकर प्रतिदिन 1.4 लाख सैंपल की कर दी गई है। अब इसे बढ़ाकर प्रतिदिन 2 लाख किया जा रहा है। सरकार ने 2009 में स्वाइन फ्लू के प्रकोप से सबक लेने के बाद कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए अपनी तैयारियों को बढ़ाते हुए वायरस से आगे बने रहने के लिए बुद्धिमान परीक्षण रणनीति ( Intelligent Testing Strategy ) तैयार की है। स्वाइन फ्लू ने उस वक्त देश में इस मामले में तमाम विसंगितया उजागर की थीं।
PM Modi 2.0 सरकार की पहली वर्षगांठ पर BJP ने की है बड़ी तैयारी, 10 करोड़ घरों तक पहुंचेंगे कार्यकर्ता हालाकि देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य संरचना अभी भी महामारी की व्यापकता के लिए अपर्याप्त है, लेकिन इस बार का अंतर सरकार द्वारा किए गए सुधारों और बदलावों का था क्योंकि यह एक ऐसे वायरस से निपटने की कोशिश कर रहा है, जिसका व्यवहार अनिश्चित है। देश में अब 610 प्रयोगशालाए हैं जिनमें 432 सार्वजनिक और 178 निजी हैं। इनमें प्रतिदिन कोरोना वायरस सैंपल के 1.1 लाख परीक्षण हो रहे हैं।
वायरस की संशोधित समझ और भारत व अन्य जगहों पर किए जा रहे शोध कार्यों को ध्यान में रखते हुए, विदेशों से लौटे, प्रवासी श्रमिकों और COVID-19 से निपटने के लिए आगे बढ़कर काम कर रहे कर्मचारियों की टेस्टिंग के लिए परीक्षण मानदंडों को बेहतर किया गया है।
ICMR ने कहा है कि ज्यादातर राज्य राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के साथ काम कर रहे हैं, जिनमें कोरोना वायरस परीक्षण के लिए TrueNAT मशीनें लगाई जा रही हैं। इस मशीन के माध्यम से ऐसे क्षेत्रों या जिलों में परीक्षण किया जाता है, जहां निजी या सार्वजनिक क्षेत्रों में आधुनिक वायरोलॉजिकल प्रयोगशालाएं मौजूद नहीं हैं।
लॉकडाउन में कैंसल ट्रेन टिकटों का आज से Refund मिलना शुरू, Railway ने बनाया शेड्यूल इस संबंध में एक सूत्र ने बताया कि सार्वजनिक या निजी क्षेत्र दोनों के सभी संभव संस्थानों, जैसे प्रयोगशालाओं, विश्वविद्यालयों और निजी मेडिकल कॉलेजों की पहचान की गई है। वायरस का पता लगाने और ट्रैक करने के लिए “बुद्धिमान परीक्षण रणनीति” के साथ अनुमान लगाया जाता है कि परीक्षण की आवश्यकता कहां होगी। इसके साथ ही रक्षा सुविधाओं, प्रयोगशालाओं, एसएंडटी केंद्रों के साथ-साथ पशु चिकित्सा प्रयोगशालाओं को आवश्यकता के अनुरूप बनाया गया है।
इससे परीक्षण के बुनियादी ढांचे को भी राहत मिली है। ICMR के मुताबिक अब किसी भी राज्य के नमूनों के पुराने सैंपल की टेस्टिंग बाकी नहीं है। संभावित रूप से होने वाले परीक्षणों में तेजी के लिए यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल के साथ-साथ देश के बाकी हिस्सों में अधिक प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही हैं और अतिरिक्त मशीनें लगाई जा रही हैं।