उन्होंने इसका विरोध जताते हुए कहा है कि यह कार्रवाई निष्पक्ष नहीं है, बल्कि राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है। इसके उदाहरण के तौर पर उन्होंने राज्य में कांग्रेस के एक मंत्री के जन्मदिन पर इंदौर में ही होर्डिंग लगाए जाने की घटना का उदाहरण दिया है, जिसमें निगम ने होर्डिंग और पोस्टर तो तुरंत हटा दिए थे, पर इस तरह जुर्माने की कार्रवाई नहीं की गई थी। महापौर का यह कथन तर्कपूर्ण है, लेकिन इसमें अच्छा यह रहता कि निगम को इसके लिए प्रेरित किया जाता कि वह किसी भी तरह के उल्लंघन पर सभी पर कार्रवाई करे, न कि यह कि पहले किसी पर नहीं की है, तो दूसरों पर भी नहीं करे।
निगम को भी इसका ध्यान देना चाहिए कि दंड की कार्रवाई में पूर्ण पारदर्शिता रहे और किसी प्रकार का भेदभाव न किया जाए। हर उल्लंघन पर समान रूप से कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि पारदर्शिता व निष्पक्षता रहे। ऐसा होगा, तभी इस तरह की कार्रवाई का भय रहेगा और तीन साल से स्वच्छता में देश में चोटी पर आ रहा हमारा इंदौर लगातार सर्वश्रेष्ठ बना रहेगा। मुख्यमंत्री ने पोस्टर होर्डिंग के खिलाफ खुलकर राय व्यक्त की है, इसके बावजूद यह कहने में संकोच नहीं कि राजनीतिक दलों ने अब तक ऐसी मानसिकता से दूरी नहीं बनाई है। उन्हें स्वच्छता को सर्वोपरि रखते हुए पोस्टर होर्डिंगों के जरिए वाहवाही लूटने की आदत छोड़ देनी चाहिए।