एक महीने में 3 ग्रहण 58 साल पहले जुलाई-अगस्त में पड़े थे। इस साल कुल छह ग्रहण लगने हैं जिनमें से दो सूर्यग्रहण बाकी चंद्रग्रहण हैं। आइए आज हम आपको बताते हैं कि चंद्रग्रहण के प्रकार और प्रभाव हमारे जीवन पर क्या होता है।
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इसमें चांद का रंग थोड़ा मटमैला हो जाता है। वैज्ञानिक अनुमानों के मुताबिक ऐसा ग्रहण तब लगता है जब सूरज, धरती और चांद एक सीध में नहीं आ पाते। सूरज की रोशनी का कुछ हिस्सा चांद की सतह तक पहुंचने से धरती रोक लेती है और बाहरी सतह के पूरे हिस्से को धरती कवर कर लेती है। इसलिए इसे उपच्छाया ( penumbra ) कहते हैं। ऐसे चांद को पूर्णिमा के चांद से अलग करके देख पाना मुश्किल होता है।
Bihar : विधानसभा चुनाव जीतने के लिए बीजेपी की संगठन की मजबूती पर जोर, इस बार सप्तर्षि संभालेंगे बूथ 2. आंशिक चंद्रग्रहण ( Partial Lunar Eclipse ) ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक आंशिक चंद्रग्रहण वह होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी पूरी तरह से न आकर पृथ्वी की छाया चंद्रमा के कुछ हिस्से पर पड़े। ऐसी स्थिति को आंशिक चंद्रग्रहण कहा जाता है। इसकी अवधि बहुत लंबी नहीं होती है, लेकिन इसमें सूतक के नियमों का पालन करना ( Rules of sutak have to be followed ) होता है। पिछले साल 16 जुलाई को ऐसा चंद्रग्रहण पड़ा था।
3. पूर्ण चंद्रग्रहण ( Total Lunar Eclipse ) पूर्ण चंद्रग्रहण में सूतक काल मान्य होते हैं। इसमें ग्रहण लगने के समय से 12 घंटे पहले सूतक लग जाते हैं। पूर्ण चंद्रग्रहण तब होता है जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है। पृथ्वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है। उस समय पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है। उस वक्त चंद्रमा का रंग पूरी तरह से लाल रंग ( Red Colour ) का नजर आने लगता है।
चंद्रमा के धब्बे भी साफ दिखाई देने लगते हैं। 21 जनवरी, 2019 को इसी प्रकार का चंद्रग्रहण लगा था, जिसे सुपर ब्लड मून ( Super Blood Moon ) के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिष के आधार पर पूर्ण चंद्रग्रहण को सर्वाधिक प्रभावी माना जाता है और सभी राशियों पर इसका अच्छा और बुरा प्रभाव पड़ता है। 165 साल बाद ऐसा संयोग, पितृपक्ष के 1 महीने बाद आएगी।