विविध भारत

Birth Anniversary : जानिए, नरेंद्रनाथ से स्वामी विवेकानंद बनने की दिलचस्प कहानी

आज से 157 साल पहले हमारे देश में एक ऐसे सन्यासी ने जन्म लिया था जिसने समूची दुनिया को भारत के प्राचीन ज्ञान की रोशनी से जगमग कर दिया…..

Jan 11, 2021 / 10:36 pm

भूप सिंह

नई दिल्ली। Swami Vivekanand (स्वामी विवेकानंद) का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्ता था। उन्होंने शिकागो में 11 सितंबर 1893 को विश्व धर्म संसद के दौरान दमदार भाषण देकर भारत की पहचान को विश्व में स्थापित कर दिया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि Swami Vivekanand नाम उन्हें कैसे मिला। नहीं ना! इस आर्टिकल में जानिए।

फ्रंटलाइन वर्कर्स के टीकाकरण का खर्च उठाएगी केन्‍द्र सरकार – पीएम मोदी

कोई भी काम करने से पहले लेते थे गुरु का अशीर्वाद
स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम था रामकृष्ण परमहंस। स्वामी कोई भी काम करने से पहले अपने गुरु का आशीर्वाद लेते थे। जब स्वामी के गुुरु का देहांत हो गया तो उन्हें अमरीका भाषण देने जाना तो वह अपनी गुुरु मां के पास आशीर्वाद लेने पहुंचे। उन्होंने उनके पैर छुए और बताया कि उन्हें अमरीका भाषण देने जाना है और इसलिए वह आशीर्वाद लेने आए हैं तो उन्होंने कहा कि कल आना। मैं देखना चाहती हूं कि आप इस काबिल हो या भी नहीं।

दो दिवसीय दौरे पर लद्दाख पहुंचे CDS Bipin Rawat, सुरक्षा बलों की जमीनी जरूरतों का आकलन करेंगे

चाकू उठाकर दिया तो मां गुरु ने दिया आशीर्वाद
जैसे स्वामी विवेकानंद दूसरे दिन मां गुरु का आशीर्वाद लेने पहुंचे तो वह रसोई में थीं। जब विवेकानंद ने कहा कि मां गुरु मैं आपका आशीर्वाद लेने आया हूं तो उन्होंने कहा कि ठीक है पहले तुम मुझे चाकू उठाकर दो मुझे सब्जी काटनी है। विवेकानंद ने चाकू उठाकर मां की और बढ़ा दिया। चाकू लेते ही मां शारदा ने अपने विवेकानंद को आशीर्वाद दे दिया। मां गुरु का आशीर्वाद मिलने के बाद भी नरेंद्र को बेचैनी थी, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार आशीर्वाद से चाकू का क्या जुड़ाव तो उन्होंने गुरु मां से पूछ लिया तो उन्होंने कहा कि बेटा जब भी कोई दूसरे को चाकू पकड़ता है तो धार वाला सिरा पकड़ता है, लेकिन आपने ऐसा नहीं किया।

किसान आंदोलन के समर्थन में निकाली ट्रैक्टर रैली…

ऐसे नरेंद्रनाथ से बने विवेकानंद
बात करें नरेंद्रनाथ दत्ता के स्वामी विवेकानंद बनने की तो इस बारे में बहुत ही लोग जानते हैं। अक्सर लोगों का मानना है कि यह उन्हें उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस ने दिया था, लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल, हुआ यूं कि स्वामी जी को अमरीका यात्रा पर जाना था। लेकिन अमरीका जाने के लिए उनके पास नहीं थे। उनकी इस पूरी यात्रा का खर्च राजपूताना के खेतड़ी नरेश ने उठाया था। उन्होंने ही स्वामी जी को विवेकानंद नाम भी दिया। प्रसिद्ध फ्रांसिसी लेखक रोमां रोलां ने अपनी किताब ‘द लाइफ ऑफ़ विवेकानंद एंड द यूनिवर्सल गोस्पल’ में भी लिखा कि शिकागो में आयोजित 1891 में विश्वधर्म संसद में जाने के लिए राजा के कहने पर स्वामीजी ने यही नाम स्वीकार किया।

जम्मू-कश्मीर में सैकड़ों आतंकी बना रहे घुसपैठ का प्लान, अलर्ट पर सुरक्षाबल

शिकागों पहुंचकर विवेकानंद हर जुबां पर छा गए
शिकागो में उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत भाईयो और बहनों शब्दों के साथ की। इसके बाद उन्होंने भारतीय धर्म और दर्शन का जो जिक्र किया, उनके उस भाषण को सुनकर वहां मौजूद सभी लोग आश्चर्य चकित रह गए। यह इसलिए भी था, क्योंकि इतनी कम आयु का इतना जबरदस्त भाषण देने वाला वहां कोई दूसरा नहीं था। इससे पहले शून्य को लेकर ऐसा भाषण किसी ने नहीं दिया था।

Hindi News / Miscellenous India / Birth Anniversary : जानिए, नरेंद्रनाथ से स्वामी विवेकानंद बनने की दिलचस्प कहानी

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.