इसमें आम जनता से आग्रह किया गया है कि वे प्लास्टिक से बने झंडे का इस्तेमाल न करें, साथ ही राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से भी कहा कि वे फ्लैग कोड ऑफ इंडिया का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें।
अब हमज 877 रुपए में करें हवाई सफर, इन एयरलाइंस के आकर्षक ऑफर को पाने के लिए बचा है सिर्फ इतना वक्त ये है अहम निर्देशगृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को केवल कागज से बने झंडों के उपयोग के बारे में जन जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने और ध्वज की गरिमा बनाए रखने के लिए निजी रूप से उन्हें डिस्पोज के लिए कहा है।
एडवाइजरी में लिखा गया है कि “मंत्रालय ने पाया है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल आयोजनों के अवसरों पर, कागज के झंडे के स्थान पर प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय झंडे का उपयोग किया जा रहा है।
गरिमा के साथ डिस्पोज करना भी समस्या
चूंकि प्लास्टिक के झंडे कागज के झंडे की तरह बायोडिग्रेडेबल नहीं होते हैं, इसलिए ये लंबे समय तक खत्म नहीं होते हैं। वहीं प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज को गरिमा के साथ डिस्पोज करना एक समस्या है।
सिर्फ कागज के बने झंडों का हो उपयोग
गृह मंत्रालय ने अपनी एडवाइजरी ने राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के प्रावधानों के तहत जनता की ओर से केवल कागज के झंडे का उपयोग किया जाए और झंडे को जमीन पर फेंका न जाए।
कोरोना वायरस के नए रूप का बढ़ा खतरा, अब नई वैक्सीन बनाने में जुटे गए ऑक्सफोर्ट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ये है दंड और जुर्मानाद प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 की धारा 2 के मुताबिक, “जो कोई भी सार्वजनिक स्थान पर तिरंगे को जलता है, उसका अपमान, विध्वंस करता है, या अवमानना (चाहे शब्दों द्वारा, या तो लिखित, या कृत्यों द्वारा) उसे 3 साल तक के लिए कारावास के साथ दंडित किया जाएगा या जुर्माना भी साथ हो सकता है।”
मंत्रालय ने कहा, “राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सार्वभौमिक स्नेह और सम्मान है। फिर भी, लोगों के साथ-साथ सरकार के संगठनों और एजेंसियों के बीच कानूनों, प्रथाओं और सम्मेलनों के बारे में जागरूकता की एक कमी अक्सर देखी जाती है जो राष्ट्रीय ध्वज को लेकर लागू होती हैं।