तारीख थी 12 जून 1975, इस दिन करीब 10 बजे, इलाहाबाद हाईकोर्ट का कोर्ट रूम नंबर 24 लोगों से खचाखच भरा था। जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने अपने फैसले में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनाव में धांधली करने का दोषी पाते हुए उनका चुनाव रद्द कर दिया।
सत्ता छोड़ने को तैयार न थीं देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी किसी भी हालत में सत्ता छोड़ने को तैयार न थीं। इस फैसले के खिलाफ वे सुप्रीम कोर्ट भी गईं, मगर वहां भी उन्हें राहत न मिल सकी। आखिरकार इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगा दी।
इस पूरे मामले की शुरुआत होती है साल 1971 में। देश में लोकसभा चुनाव हुए और कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की। कुल 518 में से कांग्रेस को 352 सीटों पर जीत मिली। इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं। उन्होंने अपनी पारंपरिक सीट उत्तर प्रदेश के रायबरेली से जीत दर्ज की।
एक लाख वोट से विपक्षी को हराया इंदिरा गांधी ने एक लाख से भी अधिक वोटों से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राजनारायण को हरा दिया था। राजनारायण अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थे। उन्होंने चुनावी नतीजों से पहले ही विजय जुलूस निकाला। राजनारायण चुनाव हारने के बाद कोर्ट चले गए।
उन्होंने अदालत को एक सूची सौंपी जिसमें इंदिरा गांधी पर भ्रष्टाचार, चुनावों में धांधली और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने जैसे आरोप लगे। इन आरोपों के आधार पर उन्होंने अदालत से मांग की कि इंदिरा का चुनाव रद्द किया जाए।
पीएम को अदालत में पेश होने का आदेश इस मामले की सुनवाई जस्टिस सिन्हा कर रहे थे। उन्होंने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अब प्रधानमंत्री को बयान देेने के लिए बुलाया। मार्च में जस्टिस सिन्हा ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अदालत में पेश होने का आदेश दिया। ऐसा ये पहला मौका था कि जब देश का पीएम कोर्ट में पेश हो रहा था। 18 मार्च 1975 को इंदिरा गांधी बयान देने अदालत में पहुंच गईं। इस दौरान 5 घंटे तक उनसे जिरह चली।
चुनाव को रद्द कर दिया आज ही के दिन कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इंदिरा के चुनाव को रद्द कर दिया। उनके 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी। कांग्रेस को जरा सा भी इस बात का अंदेशा नहीं था कि अदालत इस तरह कोई फैसला सुना सकती है।
इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। 11 दिन बाद 23 जून 1975 को इंदिरा ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और फैसले पर रोक लगाने की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई अगले ही दिन जस्टिस वीआर कृष्णा अय्यर ने इंदिरा की याचिका पर सुनवाई कर फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि वे हाईकोर्ट के फैसले पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाएंगे। मगर इंदिरा प्रधानमंत्री बनीं रह सकती हैं। साथ ही ये भी कहा कि इस दौरान वे संसद की कार्यवाही में भाग तो ले सकती हैं, लेकिन वोट नहीं कर सकेंगी।
विपक्षी नेताओं ने 25 जून को रैली का आयोजन किया इस तरह से कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट से कोई छूट नहीं मिली। इसके साथ विपक्ष लगातार इंदिरा से इस्तीफे की मांग कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही विपक्षी नेताओं ने 25 जून को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक रैली का आयोजन किया। भारी भीड़ जुटी जिसे संबोधित करते हुए जयप्रकाश नारायण ने रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता का हिस्सा पढ़ा और नारा दिया- ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’।
इमरजेंसी की घोषणा की जेपी इधर रैली कर रहे थे। उधर इंदिरा राष्ट्रपति भवन पहुंचीं। रात होते-होते इमरजेंसी का प्रस्ताव तैयार किया जा चुका था। इस दौरान जेपी समेत तमाम बड़े नेता गिरफ्तार हो गए। सुबह 8 बजे इंदिरा ने रेडियो पर इमरजेंसी की घोषणा की। इसी के साथ देश 21 माह तक अपने सबसे बुरे काल से गुजरा।
आज के दिन कुछ अन्य अहम घटनाएं 2013: भारत में 163 वर्ष से चली आ रही टेलीग्राम सेवा को बंद करने की घोषणा हुई। 15 जुलाई 2013 को देश में आखिरी बार टेलीग्राम भेजा गया।
1994: बोइंग-777 ने अपनी पहली उड़ान भरी। उस समय इस विमान को सबसे आधुनिक विमान की श्रेणी में रखा गया। इसमें दुनिया का सबसे बड़ा ट्विन जेट इंजन लगाया गया था। 1990: इंडियन नेशनल सैटेलाइट (INSAT-1D) को लॉन्च कर गया।
1990: रूस ने खुद को संप्रभु राष्ट्र घोषित करा। 1992 से हर साल 12 जून को रूस दिवस मनाया गया। 1924: अमरीका के 41वें राष्ट्रपति जॉर्ज हर्बर्ट वॉकर बुश का जन्म हुआ। 1897: असम में भूकंप से करीब 1500 लोगों की जान गई थी।
1849: गैस मास्क के लिए लुई हैस्लेटो को पेटेंट मिला।