‘बॉर्डर’ के मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का निधन, लोंगेवाल में पाक सेना को चटाई थी धूल
जन्म 22 नवंबर 1940 को
ब्रिगेडियर चांदपुरी का जन्म 22 नवंबर 1940 को एक सिख परिवार में हुआ था। उस समय उनका परिवार अविभाजित भारत के पंजाब में मोंटागोमरी में रह रहा था। हालांकि चांदपुरी के जन्म के बाद उनका परिवार बालाचौर के चांदपुर रूड़की में आकर बस गया था। चांदपुरी ने 1962 में होशियारपुर के गवर्नमेंट कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके तुरंत बाद ही चांदपुरी भारतीय सेना में भर्ती हो गए। पाकिस्तान के साथ 1965 के छिड़े युद्ध में चांदपुरी ने हिस्सा लिया था। जिस समय पाकिस्तानी सेना ने लोंगेवाल में हमला किया, उस समय कुलदीप मेजर थे, जबकि रिटायरमेंट के बाद ब्रिगेडियर हुए।
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जानें बड़ी बातें–
1— कुलदीप सिंह केवल 22 साल की उम्र में ही भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे। वो पंजाब रेजिमेंट की 23वीं बटालियन में शामिल हुए थे।
2— साल 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी कुलदीप सिंह ने भाग लिया। इसके बाद वह गाजा और मिश्र में संयुक्त राष्ट्र की आपातकालीन सेना में भी रहे।
3— 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच छिड़े युद्ध में कुलदीप सिंह ने भारत का गौरव बढ़ाया। 4 दिसंबर को युद्ध के दौरान कुलदीप सिंह ने केवल 120 सैनिकों के साथ ही पाकिस्तान की 51वीं इंफैंट्री ब्रिगेड के करीब 3000 सैनिकों के होश उड़ा दिए।
4— 1971 में उन्हें लड़ाई के दौरान बेहद साहस का परिचय देने के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
5— साल 1971 में जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया, तब कुलदीप सिंह मेजर थे। जबकि ब्रिगेडियर पद उनको रिटायरमेंट के बाद मिला।
6— लोंगेवाल की लड़ाई में पाकिस्तान को बहुत शर्मनाक शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस लड़ाई में पाकिस्तान के 34 टैंक नष्ट हो गए। जिसमें 200 जवानों की मौत हो गई और 500 से अधिक घायल हो गए।
7— यह कुलदीप सिंह की बहादुरी का परिणाम है कि इस लड़ाई में भारत न केवल विजयी रहा, बल्कि भारतीय सेना पाकिस्तान के 8 किलोमीटर अंदर तक जा घुसी।
8— उम्र के इस पड़ाव पर भी मेजर चांदपुरी उत्साह से लबरेज थे। इसी का नतीजा है कि उन्होंने एक बार कहा था कि ‘हमें तो सरहद पर बुला लें तो आज भी लड़ने के लिए तैयार बैठे हैं।