पिछले साल अमरनाथ गुफा साइलेंस जोन घोषित हुई
पिछले साल अमरनाथ गुफा को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने साइलेंस जोन घोषित कर दिया था। इसमें वहां पर शोर मचाना, गर्मी, घंटा बजाने जैसे कामों पर रोक लगा दी थी। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि इससे हिम महाशिवलिंग पर असर पड़ता है और जल्दी पिघलने की आशंका बनी रहती है। इसके साथ ही NGT ने एंट्री प्वाइंट से आगे चढ़ावा ले जाने पर रोक लगाई थी। अच्छी व्यवस्थाएं मुहैया ना करने पर NGT ने श्राइन बोर्ड से कहा था कि श्रद्धालुओं को गुफा में अच्छी तरह से दर्शन करने का अधिकार है, उन्हें इससे अलग नहीं किया जा सकता है।
28 जून से शुरू होगी अमरनाथ यात्रा
आने वाली 28 जून से अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है। इसके लिए लोग अब समूह रजिस्ट्रेशन भी करा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने 30 मई घोषित की है। यह रजिस्ट्रेशन कराने के लिए यात्रा फॉर्म भरकर रजिस्टर्ड डाक से भेजने होंगे। बता दें कि इस साल अमरनाथ यात्रा 28 जून से शुरू हो कर 26 अगस्त को समाप्त होगी।
पिछले साल अमरनाथ गुफा को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने साइलेंस जोन घोषित कर दिया था। इसमें वहां पर शोर मचाना, गर्मी, घंटा बजाने जैसे कामों पर रोक लगा दी थी। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि इससे हिम महाशिवलिंग पर असर पड़ता है और जल्दी पिघलने की आशंका बनी रहती है। इसके साथ ही NGT ने एंट्री प्वाइंट से आगे चढ़ावा ले जाने पर रोक लगाई थी। अच्छी व्यवस्थाएं मुहैया ना करने पर NGT ने श्राइन बोर्ड से कहा था कि श्रद्धालुओं को गुफा में अच्छी तरह से दर्शन करने का अधिकार है, उन्हें इससे अलग नहीं किया जा सकता है।
28 जून से शुरू होगी अमरनाथ यात्रा
आने वाली 28 जून से अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है। इसके लिए लोग अब समूह रजिस्ट्रेशन भी करा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने 30 मई घोषित की है। यह रजिस्ट्रेशन कराने के लिए यात्रा फॉर्म भरकर रजिस्टर्ड डाक से भेजने होंगे। बता दें कि इस साल अमरनाथ यात्रा 28 जून से शुरू हो कर 26 अगस्त को समाप्त होगी।
बर्फ से होता है प्राकृतिक शिवलिंग का निर्माण
हिन्दू धर्म में अमरनाथ यात्रा का कुछ खास ही महत्त्व है। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए श्रद्धालु अमरनाथ आते हैं। पवित्र गुफा में बनने वाले शिवलिंग या हिमलिंग का निर्माण गुफा की छत से पानी की बूंदों के टपकने से होता है। गिरने वाली बूंदे इतनी ठंडी होती है कि नीचे गिरते ही बर्फ का रुप लेकर जम जाती हैं। बूंदें लगातार गिरने से बर्फ का 12 से 18 फीट तक ऊंचा शिवलिंग बन जाता है। जिन प्राकृतिक स्थितियों में इस शिवलिंग का निर्माण होता है वह विज्ञान के तथ्यों से विपरीत है। विज्ञान के अनुसार बर्फ को जमने के लिए करीब शून्य डिग्री तापमान जरुरी है लेकिन अमरनाथ यात्रा के समय इस स्थान का तापमान शून्य से ऊपर होता है। प्राकृतिक हिम से बनने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है।
हिन्दू धर्म में अमरनाथ यात्रा का कुछ खास ही महत्त्व है। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए श्रद्धालु अमरनाथ आते हैं। पवित्र गुफा में बनने वाले शिवलिंग या हिमलिंग का निर्माण गुफा की छत से पानी की बूंदों के टपकने से होता है। गिरने वाली बूंदे इतनी ठंडी होती है कि नीचे गिरते ही बर्फ का रुप लेकर जम जाती हैं। बूंदें लगातार गिरने से बर्फ का 12 से 18 फीट तक ऊंचा शिवलिंग बन जाता है। जिन प्राकृतिक स्थितियों में इस शिवलिंग का निर्माण होता है वह विज्ञान के तथ्यों से विपरीत है। विज्ञान के अनुसार बर्फ को जमने के लिए करीब शून्य डिग्री तापमान जरुरी है लेकिन अमरनाथ यात्रा के समय इस स्थान का तापमान शून्य से ऊपर होता है। प्राकृतिक हिम से बनने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है।
अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले का खतरा पिछले साल अमरनाथ यात्रियों पर हमला हो चुका है लिहाजा इस बार भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही एहतियात बरत रही है। पिछले साल गुजरात के अमरनाथ यात्रियों से भरी एक बस पर आतंकी हमले में आठ श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। बता दें कि हाल ही में आनंतनाग में हुई मुठभेड़ में जिंदा पकड़े गए आतंकी ने कई खुलासे किए हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन इस साल अमरनाथ यात्रा के दौरान बड़े हमले को अंजाम दे सकते हैं। इस खुलासे के सामने आने के बाद से ही भारत की सुरक्षा एजेंसियां अब और चौकन्ना और चौकस हो गई हैं। सरकार ने अमरनाथ यात्रा को लेकर कई दिशानिर्देश जारी किए हैं।