साइंटिफिक रिपोट्र्स नामक जर्नल में प्रकाशित लेख के लेखकों में से एक, आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर बायो मेडिकल इंजीनियरिंग की शोधकर्ता डॉ. नीतू सिंह बताती हैं कि स्वर्ण नैनो-पार्टिकल्स से बांधने पर ड्रग डिलीवरी बेहतर हो जाती है और बायो-अवेलेबिलिटी भी बेहतर होती है। इस प्रकार कम मात्रा में देने पर भी दवा अच्छे परिणाम देती है। शोध में तैयार मिश्रण कम दवा की मात्रा में ही 50 फीसदी से ज्यादा असर दिखाता है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि 1000 पेप्टाइड को एक नैनोपार्टिकल से मिलाने पर बेहतरीन एंटीबैक्टीरियल परिणाम मिले हैं। इसकी वजह से 400 एनएम दवा का प्रभाव मरीज पर बहुत बेहतर होता है। खासकर कैंसर जैसी बीमारी में यह काफी लाभदायक है। इलाज के दौरान मरीज को कम से कम दवा देने से अतिरिक्त जोखिम कम होता है।
शोध के दौरान आईआईटी के छात्रों ने स्वर्ण के नैनो-पार्टिकल्स के साथ पेप्टाइड को मिलाया। इसके बाद पाया गया कि यह मिश्रण कम मात्रा में दिए जाने पर ई-कोली और साल्मोनेला टाइफी को नष्ट करता है। यह दोनों ही बैक्टीरियल इन्फेक्शन के लिए जिम्मेदार होते हैं। जो कई तरह के रोगों के वाहक हैं। पेप्टाइड अकेले बैक्टीरिया पर असर नहीं डाल पाता।
कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक, इस नई खोज से कैंसर के मरीज के शरीर को तेजी से रिकवर होने में मदद मिलेगी। कीमौथेरपी के दौरान मरीज का शरीर कमजोर हो जाता है। अधिक दवा से मरीज की रिकवरी क्षमता कम होती है। कम दवाओं से शरीर पर बोझ कम होगा और मरीज ज्यादा तेजी से रिकवर कर पाएगा।