गरतांग गली लकड़ी के पुल का पुल 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी लंबाई 136 मीटर औ चौड़ाई 1.8 मीटर है। इस पुल की सीढ़ियों को इस साल जुलाई में 64 लाख रुपये खर्च करके फिर से बनाया गया था। इसके बाद बीते बुधवार को इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया।
1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद पुल को कर दिया गया था बंद
जानकारी के मुताबिक, उत्तरकाशी की गरतांग गली लकड़ी के पुल को 150 साल पहले पेशावर के पठानों द्वारा बनाया गया था। लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद इसे पर्यटकों के लिए बंद कर दी गई थी। केंद्र सरकार ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद उत्तरकाशी के इनर लाइन क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था।
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हालांकि, 2015 में केंद्र की मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए इसे पर्यटकों के लिए फिर से खोलने का फैसला लिया और मरम्मत का काम शुरू करवाया। एक रिपोर्ट के अनुसार, आजादी से पहले तिब्बत के साथ व्यापार के लिए इस पुल का इस्तेमाल ऊन, चमड़े के वस्त्र और नमक को बदहाट ले जाने के लिए किया जाता था।
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि कोविड दिशा-निर्देशों के अनुपालन में एक बार में केवल दस लोगों को ही पुल से गुजरने दिया जा रहा है। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा “गरतांग गली ट्रेक के खुलने से राज्य में साहसिक पर्यटन गतिविधियों में एक नया आयाम जुड़ गया है। पुल का ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व है और यह प्राचीन काल से अपने पड़ोसियों के साथ देश के सौहार्दपूर्ण व्यापार संबंधों को प्रदर्शित करता है। “