NGT के मुख्य न्यायाधीश एके गोयल ने गंगा सफाई अभियान पर जताई नाराजगी, बिहार को बताया फिसड्डी
नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के प्रमुख न्यायाधीश एके गोयल की नेतृत्व वाली पीठ ने गंगा सफाई अभियान को लेकर सख्त नाराजगी जाहिर की है। मुख्य न्यायाधीश एके गोयल की पीठ ने गंगा सफाई अभियान को लेकर रिपोर्ट देखने के बाद कहा है कि गंगा सफाई के मामले में बिहार की स्थिति बेहद खराब है। इस मुद्दे पर पीठ ने बिहार सरकार को आड़े हाथ लिया है। ट्रिब्यूनल ने गंगा सफाई को लेकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और पश्चिम बंगाल सरकार के कामकाज को भी संतोषजनक नहीं बताया है।
एक भी STP नहीं बना पाई नीतीश सरकार रिपोर्ट में बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों के बावजूद गंगा नदी की सफाई में बिहार फिसड्डी साबित हो रहा है।
गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए बिहार में एक भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने का कार्य पूरा नहीं हुआ है। जबकि यहां पर 28 एसटीपी लगाए जाने हैं। इसका खुलासा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की ओर से पेश रिपोर्ट में हुआ है।
पीठ ने इसे गंभीरता से लेते हुए बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिवों को अपने-अपने राज्यों में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एसटीपी लगाने की परियोजना की खुद निगरानी करने और काम की प्रगति के बारे में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
न्यायाधीश एके गोयल ने कहा है कि वर्ष 2017 में आदेश पारित करने के बाद कुछ कदम उठाए गए, लेकिन इस काम को पूरा करने के लिए दो से तीन साल का वक्त बढ़ाए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है।
एनजीटी की पीठ ने एनएमसीजी को मिशन मोड में रहने और गंगा नदी की सफाई के लिए समुचित कदम उठाने का आदेश दिया। जब तक गंगा नदी प्रदूषण मुक्त नहीं होगी तब तक यही माना जाएगा कि एनएमसीजी अपने जिम्मेदारी का पालन नहीं कर रही है।
ISRO ने चंद्रयान-2 की दिखाई पहली झलक, जुलाई में होगा लॉन्चसुप्रीम कोर्ट ने 36 साल पहले दिया था आदेश एनजीटी के प्रमुख न्यायाधीश एके गोयल की पीठ ने कहा है कि 2017 में आदेश पारित करने से 34 साल पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का आदेश दिया था।
दशकों बीत जाने के बाद सरकार व संबंधित विभाग ने इस पर ध्यान नहीं दिया। पीठ ने कहा कहा है कि गंगा पवित्र नदी होने के साथ-साथ राष्ट्रीय नदी भी है। ऐसे में इस नदी में एक बूंद प्रदूषण को भी स्वीकार नहीं किया जाएगा।