इस बारे में उत्कल पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के महासिचव संजय लाथ ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है जब डीजल के दाम पेट्रोल से ऊपर निकल गए हैं। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में पेट्रोल और डीजल पर वैट की दर अलग-अलग लगाई जाती है जबकि ओडिशा में दोनों ईंधनों पर 26 प्रतिशत की दर से वैट लगाया जाता है। समान वैट लगाने की वजह से डीजल के दाम पहली बार ज्यादा हुआ है। उन्होंने दावा किया है कि दाम ऊंचे रहने की वजह से ओडिशा में डीजल की बिक्री कमी आई है।
प्रदेश के वित्त मंत्री एसबी बेहड़ा ने कहा कि यह असंतुलन मुख्य रूप से केंद्र की राजग सरकार की गलत नीतियों की वजह से हुआ है। उन्होंने कहा कि कीमतों को लेकर केंद्र सरकार और तेल विपणन कंपनियों के बीच सुनियोजित समझ होनी चाहिए। तालमेल और बेहतर समझ का अभाव होने की वजह से ये स्थिति उत्पन्न हुई है। दोनों की बीच तालमेल होने के कारण ये स्थिति उत्पन्न हुई है।
दूसरी तरफ ओडिशा भाजपा प्रदेश इकाई के महासचिव पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि कि देश में हर व्यक्ति जानता है कि ईंधन के दाम क्यों बढ़ रहे हैं। देश के 13 राज्यों ने ईंधन पर वैट में कटौती की है लेकिन ओडिशा सरकार ने इस मामले में अभी तक कोई फैसला नहीं किया है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने प्रदेश सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उसे जनहित की चिंता नहीं है। अगर बीजेडी सरकार को इस बात की चिंता होती तो 13 राज्यों की तरह यहां सरकार वैट की दरों में कटौती की घोषणा करती।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान खुद ओडिशा से आते हैं। उन्होंने रविवार को एक बार फिर राज्य सरकार से पेट्रोल, डीजल पर वैट कम करने की अपील की है ताकि जनता को और राहत दी जा सके। उन्होंने कहा वैट में कटौती कर जनता को राहत देना संभव है।