विविध भारत

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गृह मंत्रालय के पांच बड़े फैसले

गृह मंत्रालय भारत सरकार का एक अभिन्न अंग है।
आतंरिक व बाह्य सुरक्षा मामलों के लिए गृह मंत्रालय जिम्मेदार होता है।

May 26, 2019 / 10:38 pm

Anil Kumar

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गृह मंत्रालय के पांच बड़े फैसले

नई दिल्ली। मोदी सरकार का पहला कार्यकाल खत्म हो चुका है और अब प्रचंड जीत के साथ दूसरे कार्यकाल के लिए शपथग्रहण का कार्यक्रम 30 मई को राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया है। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में कई अहम फैसले लिए जिसको लेकर तमाम तरह के आन्दोलन और प्रदर्शन देखने को मिला। किसी भी सरकार की सफलता और विफलता के लिए उनके मंत्रालयों द्वारा लिए गए फैसले जिम्मेदार होते हैं। क्योंकि उन्हीं फैसलों से देश का हर नागिरक प्रभावित होता है। इन्हीं में से एक मंत्रालय है गृह मंत्रालय ( Home Ministry ), जो सरकार का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। गृह मंत्रालय अन्य विभागों के साथ मिलकर देश के आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को लेकर तमाम तरह की रणनीतियां बनाता है। ऐसे में आज हम गृह मंत्रालय के उन पांच बड़े फैसलों को जानने की कोशिश करते हैं, जिनसे आम जन प्रभावित हुए हैं..

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राष्ट्रीय नागरिक रजिस्ट्र ( NRC )

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में मूल भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए एक व्यवस्था बनाई गई, जिसे सामान्त तौर पर NRC कह सकते हैं। एनआरसी का मतलब होता है राष्ट्रीय नागरिक रजिस्ट्र। यह व्यवस्था तो बहुत साल पहले ही लागू हो चुका था लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में इसे अमल मे लाया गया। गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में एनआरसी को तय समय में पूरा करने का आदेश दिया। जिसके बाद से असम में इसे लागू किया गया और मूल भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए दस्तावेज जुटाए गए। दरअसल दशकों से बांग्लादेश और म्यांमार से लोग अवैध रूप से सीमा पार कर भारत में रह रहे हैं, जो मूल लोगों के अधिकारों को छिन रहे हैं। इसलिए NRC के जरिए भारत सरकार मूल नागिरकों को पहचान कर रही है।

कंप्यूटर डेटा की जांच कर सकती हैं 10 खुफिया एजेंसियां

मोदी सरकार के कार्यकाल में गृह मंत्रालय ने खुफिया एजेंसियों को एक अधिकार देने का दूसरा बड़ा फैसला लिया, जिसको लेकर विरोध भी हुआ। दरअसल गृह मंत्रालय ने देश के प्रमुख 10 सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को किसी भी व्यक्ति या संस्थान के कंप्यूटर के डेटा को जांचने का अधिकार दिया है। इस आदेश के मुताबिक देश की ये सुरक्षा एजेंसियां किसी भी व्यक्ति के कंप्यूटर में जेनरेट, ट्रांसमिट, रिसीव और स्टोर किए गए किसी दस्तावेज को देख सकता है। इस आदेश में यह भी कहा गया है कि सभी सब्सक्राइबर या सर्विस प्रोवाइडर और कंप्यूटर के मालिक को जांच एजेंसियों को तकनीकी सहयोग देना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो उन्हें 7 साल की सज़ा देने के साथ जुर्माना लगाया लगाया जा सकता है। इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स, डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सेक्रेटेरिएट (रॉ), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली के कमिश्नर ऑफ पुलिस को देश में चलने वाले सभी कंप्यूटर की जासूसी की मंजूरी दी गई है।

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कश्मीर में अलगावादियों पर कार्रवाई

मोदी सरकार के कार्यकाल में कश्मीर नीति को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। लेकिन गृह मंत्रालय ने अपने फैसले से सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश की। कश्मीर में आतंकियों के खात्मे को लेकर सरकार ने कई कदम उठाए। इसी में से एक है आतंकियों की मदद करने वाले अलगाववादियों पर कार्रवाई। गृह मंत्रालय ने उन तमाम अलगाववादियों पर कार्रवाई करने का फैसला किया। यह पहली बार हो रहा था कि मोदी सरकार के कार्यकाल में अलगाववादी नेताओं के संपत्तियों को जब्त किया गया और उनके संगठनों पर पाबंदी लगा दी गई।

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विदेशियों को बेरोक-टोक घुमने की इजाजत

गृह मंत्रालय ने 2018 में एक बड़ा फैसला लेते हुए पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में बिना रोक-टोक के विदेशियों को घुमने की इजाजत दी। हालांकि इसमें अभी भी पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान के नागरिकों के लिए प्रतिबंध लगा है। दरअसल, गृह मंत्रालय ने नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर के छह दशक पुराने संरक्षित क्षेत्र परमिट शासन को एक अप्रैल से पांच साल के लिए शिथिल करने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद कोई भी विदेशी नागरिक इन तीनों राज्यों में बिना रोक-टोक के किसी भी क्षेत्र में घुम सकता है। बता दें कि 1958 के एक आदेश के तहत, इनर लाइन और कुछ राज्यों की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के बीच पड़ने वाले सभी क्षेत्रों को संरक्षित क्षेत्रों के रूप में घोषित किया गया था। संरक्षित क्षेत्रों में वर्तमान में पूरे अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम के अलावा हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से शामिल हैं।

सुरक्षा बलों की भर्ती प्रक्रिया

गृह मंत्रालय ने बीते साल एक बड़ा फैसला लिया था। इस फैसले में गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सुरक्षा बलों को एक बड़ा तोहफा दिया था। दरअसल, गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर के अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के युवाओं के लिए केंद्रीय सशस्त्र बल में भर्ती के लिए निर्धारित कद में 5 सेंटीमीटर की रियायत दी गई। इसका सीधे-सीधे हजारों युवाओं को मिलेगा।

 

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