scriptफिल्मों पर विवाद: भक्त विदुर से पद्मावती तक थियेटर तक पहुंचने की फिल्मी जंग | film Controversy: bhakt Vidur to Padmavati top 10 movie controversy | Patrika News
विविध भारत

फिल्मों पर विवाद: भक्त विदुर से पद्मावती तक थियेटर तक पहुंचने की फिल्मी जंग

फिल्मों के विवाद का 100 साल से ज्यादा का इतिहास है और इस दौरान दुनियाभर में सैकड़ों फिल्में प्रतिबंधित भी की गई हैं।

Nov 20, 2017 / 08:45 am

shachindra श्रीवास्तव

film Controversy: bhakt Vidur to Padmavati top 10 movie controversy

film controversy

आमतौर पर माना जाता है कि विवादों में घिरने के बाद कोई फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा मुनाफा कमाती है। आंशिक रूप से यह बात सच भी है, जबकि कई बार दांव उलटा भी पड़ जाता है। हाल के सालों में रिलीज से पहले फिल्म पर विवाद होना आम बात हो गई है। कई बार यह खबरों में बने रहने की सोची-समझी रणनीति होती है, तो कई मामलों में विवादित विषय निर्माता-निर्देशकों के लिए मुसीबत बन जाते हैं और फिल्म की रिलीज अटक जाती है। संजय लीला भंसाली की ‘पद्मावती’ इस कड़ी में नया नाम है। इतिहास, प्राचीन कथाओं और मिथकों पर बनने वाली फिल्मों पर विवाद ज्यादा होते रहे हैं, लेकिन राजनीति, सेक्स और कानून पर बनी विवादित फिल्मों की तादाद भी कम नहीं है।

96 साल पहले सामने आया था देश का पहला फिल्मी विवाद
1921 में ‘भक्त विदुर’ देश की पहली फिल्म थी जिस पर विवाद के बाद प्रतिबंध लगाया गया। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने कराची और मद्रास प्रांत में इसके सार्वजनिक प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी। यह फिल्म जलियांवाला बाग हत्याकांड और रोलेट एक्ट लागू होने के तुरंत बाद आई थी। फिल्म में महाभारत कालीन पात्र विदुर के चरित्र को महात्मा गांधी की तरह चित्रित किया गया था।
हाल के सालों में बढ़ी विवादित फिल्मों की संख्या
1975 के पहले तक महज 6 फिल्में विवादित हुईं। आंशिक प्रतिबंध के बाद इन्हें प्रदर्शित करने की इजाजत दे दी गई।
1975 से 2000 के बीच महज 11 फिल्मों पर हुआ विवाद
2001 से 2010 के बीच 25 फिल्में विवाद के बाद आंशिक रूप से प्रतिबंधित की गईं।
33 मामले सामने आ चुके हैं बीते सात सालों में फिल्मी विवाद के।
छोटे विवादों से परहेज नहीं फिल्मकारों को
सदी की शुुरुआत के बाद से फिल्म और विवाद का नाता गहरा होता गया है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि फिल्मकार खुद खबरों में लाने के लिए फिल्मों से जुड़े छोटे-मोटे विवाद को हवा देते हैं। हालात तब बिगड़ जाते हैं, जब कोई राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन या धार्मिक समूह पूरी ताकत से संबंधित फिल्म के विरोध में सामने आ जाते हैं। इनमें ‘फिराक’, ‘आरक्षण’, ‘साड्डा हक’, ‘विश्वरूपम’ से लेकर ‘मद्रास कैफे’, ‘उड़ता पंजाब’, ‘इंदू सरकार’ और ‘मोहल्ला अस्सी’ तक कई फिल्में शामिल हैं।

विवाद का अर्थशास्त्र: कहीं मुनाफा, कहीं घाटा
विवादों के माध्यम से कई बार फिल्म को अच्छी ओपनिंग मिल जाती है। वैसे भी अब फिल्में अपनी कुल कमाई का बड़ा हिस्सा पहले एक-दो सप्ताह में ही कमाती हैं। बात पद्मावती की ही करें, तो इसका बजट करीब 180 करोड़ रुपए है। वॉयकॉम 18, मोशन पिक्चर्स और संजय लीला भंसाली को मुनाफे के लिए बॉक्स ऑफिस पर कम से कम 500 करोड़ रुपए जुटाने होंगे। अगर यह फिल्म एक या दो बड़े राज्यों में भी प्रतिबंधित होती है, तो यह मुश्किल होगा। इससे पहले शाहरुख खान की ‘रईस’ और शाहिद कपूर की ‘उड़ता पंजाब’ विवाद के बाद घाटे का सौदा रहीं।

अब तक के 10 बड़े फिल्मी विवाद
नील अक्षेर नीचे: 1959 की इस बंगाली फिल्म को राजनीतिक विवाद के बाद दो महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। फिल्म में 1930 के दशक में कोलकाता में चीनी प्रवासी मजदूरों को होने वाली समस्याओं को दिखाया गया था।

आंधी: 1975 में इसे आपातकाल के दौरान इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था। बाद में 1977 में जनता पार्टी की सरकार में यह फिल्म रिलीज हुई।

फायर: रिलीज के पहले दिन ही कुछ सिनेमाघरों में तोडफ़ोड़ की गई थी। फिल्म में दो महिलाओं के बीच संबंध दिखाए गए थे। फिल्म को पुन: सेंसर बोर्ड के पास भेजा गया। हालांकि बाद में बिना किसी सीन को काटे रिलीज किया गया।
पांच: अनुराग कश्यप की पहली फिल्म नशे, सेक्स और हिंसा के कारण प्रतिबंधित की गई। हालांकि बाद में कुछ सीन काटकर इसे सेंसर प्रमाणपत्र मिला, लेकिन यह कभी रिलीज नहीं हो सकी।

हवाएं: 2003 में 1984 के सिख नरसंहार पर बनी फिल्म को दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और पंजाब में बैन किया गया।
वाटर: निर्माण के दौरान ही वाराणसी में फिल्म सेट पर तोडफ़ोड़ की गई। बाद में उत्तर प्रदेश सरकार ने शूटिंग रुकवा दी। तब श्रीलंका में फिल्म की शूटिंग पूरी की गई और काफी समय बाद मार्च 2007 में यह रिलीज हुई।
फना: आधिकारिक रूप से फिल्म पर प्रतिबंध नहीं था, लेकिन आमिर खान के नर्मदा बचाओ आंदोलन के पक्ष में दिए गए बयान के कारण गुजरात में यह सिनेमाघरों तक नहीं पहुंची थी।

जोधा अकबर: 2008 में करणी सेना की विरोध के बाद राजस्थान पर यह फिल्म प्रदर्शित नहीं की गई थी। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी प्रतिबंध लगा। हालांकि उत्तर प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट ने इसे रिलीज करने की इजाजत दी थी।
मैं हूं रजनीकांत: सुपरस्टार रजनीकांत ने इस फिल्म में अपने नाम के इस्तेमाल को कॉपीराइट का उल्लंघन बताया था और मद्रास हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी। बाद में फिल्म का टाइटल मैं हूं किलर कर दिया गया था।

उड़ता पंजाब: राज्य की छवि गलत ढंग से दिखाए जाने के आरोपों के चलते फिल्म पर विवाद हुआ। इसके बाद इसे 13 कट के बाद ए सर्टिफिकेट देकर रिलीज किया गया।
दुनिया में पहला मामला
1910 में जैक जॉनसन और जेम्स जे जैफ्री के मुक्केबाजी मुकाबले पर आधारित फिल्म ‘द जॉनसन-जैफ्रीज फाइटÓ को दक्षिण अफ्रीका में बैन कर दिया गया था। यह किसी फिल्म पर प्रतिबंध का पहला मामला था। अमरीका में श्वेत-अश्वेत के बीच दंगा भड़कने के चलते इस फिल्म को बैन किया गया था। इसके बाद से सैकड़ों फिल्में दुनियाभर में प्रतिबंधित हो चुकी हैं।
2017 में दो फिल्में ‘वंडर वुमन’ (लेबनान, कतर, ट्यूनिशिया) और ‘ब्यूटी एंड द बीस्ट’ (कुवैत, मलेशिया) प्रतिबंधित की गई हैं।
48 साल: सबसे लंबा प्रतिबंध
आमतौर पर फिल्मों पर आंशिक प्रतिबंध लगाया जाता है और मामला शांत होने के बाद उन्हें रिलीज की अनुमति मिल जाती है। ‘बैटलशिप पोटेकिंन’ के साथ ऐसा नहीं हुआ। फ्रांस में यह फिल्म 1925 से 1953 तक 28 साल तक बैन रही, तो स्पेन में इसे 1927 से 1975 तक 48 साल का प्रतिबंध झेलना पड़ा। दोनों देशों की सरकारों को डर था यह फिल्म मौजूदा सरकार के खिलाफ क्रांति भड़का सकती है।
02 फिल्में ‘द वुल्फ ऑफ वॉल स्ट्रीट’ और ‘फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे’ ऐसी फिल्में हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा देशों में प्रतिबंधित किया गया।

प्रतिबंध के मामले में चीन सबसे आगे
40 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय फिल्मों को प्रतिबंधित कर चुकी है चीन की सरकार बीते तीन दशक में। इनमें ‘द विंची कोड’, ‘द डिपार्टेड’, ‘बेन-हुर’, ‘डेडपूल’ जैसी फिल्में भी शुमार हैं। 1966 से 96 के बीच तीन दशक में चेकस्लोवाकिया की कम्यूनिस्ट सरकार ने करीब 25 फिल्में प्रतिबंधित की थीं। चीन इससे आगे निकल चुका है।

Hindi News / Miscellenous India / फिल्मों पर विवाद: भक्त विदुर से पद्मावती तक थियेटर तक पहुंचने की फिल्मी जंग

ट्रेंडिंग वीडियो