दरअसल कोरोना के खौफ के चलते यहां इंसानियत भी दम तोड़ रही है। कोरोना के डर के चलते एक जज बेटे ने अपने पिता के शव को लेने से ही इनकार कर दिया। आइए जानते फिर कैसे हुआ उनका अंतिम संस्कार और क्या है पूरा मामला…
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Corona संक्रमित डायबिटीज मरीजों में ‘ब्लैक फंगस’ का बढ़ा खतरा, ऐसे करता है अटैक कोरोना महामारी की रफ्तार में भले ही बीते 24 घंटे में थोड़ा सा ब्रेक लगा हो, लेकिन इसका खौफ इस करद लोगों पर हावी हो गया है कि वे अपने जिम्मेदारियों को निभाने में भी पीछे हटने लगे हैं।
कोरोना का कहर मानवीय संवेदना के साथ-साथ रिश्तों की भी परीक्षा भी ले रहा है। लोग अपनों की मौत के बाद उन्हें अंतिम विदाई तक के लिए तैयार नहीं दिख रहे। ऐसा ही मामला बिहार के सीवान में भी देखने को मिला।
यहां एक जज साहब के पिता की कोरोना से मौत हो गई। इस बात का पता जैसे ही जज साहब को हुआ तो उन्होंने अपने पिता का शव लेने से इनकार कर दिया।
फिर ऐसे हुआ अंतिम संस्कार
जज साहब तो अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी से पीछे हट गए। कोरोना के डर के चलते उन्होंने एक वकील को अधिकृत करते हुए प्रशासन से उनका अंतिम संस्कार कराने का निवेदन कर डाला।
बहरहाल कोरोना संक्रमण से पिता की मौत क्या हुई जज साहब ने पिता के अंतिम दर्शन व विदाई में भी शामिल होना उचित नही समझा। अधिवक्ता ने आपदा साथी ग्रुप के साथ मिलकर बुजुर्ग को अंतिम विदाई दी।
जज ने ये दी सफाई
जज साहब ने इस संबंध में एक पत्र जारी कर अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि हम विवशता के चलते अपने पिता का पार्थिव शरीर अपने यहां नहीं ला सकते। उन्होंने जिला प्रशासन से अपने स्तर से दाह संस्कार कराने का निवेदन किया।
यह भी पढ़ेंः राजद सुप्रीमो लालू यादव ने नीतीश सरकार को बताया कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक, जानिए फिर क्या हुआ ये बोले डॉक्टरस्वास्थ्य विभाग से जुड़े एक डॉक्टर के मुताबिक करीब चार दिन पहले जज साहब ने डायट स्थित डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में अपने बीमार पिता को भर्ती कराया था। जांच के दौरान उनके पिता की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से न्यायाधीश के बुजुर्ग पिता का जरूरी इलाज शुरू हुआ। हालांकि उनकी तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी और सुधार ना होने की वजह से उन्होंने कोरोना से जंग हार अपनी जान गंवा दी।
पिता की मौत की खबर सुनने के बाद दूसरों के साथ न्याय करने वाले जज साहब ने एक पत्र जारी कर दिया। इस पत्र को जिसने देखा वो दंग रह गया। क्योंकि इस पत्र में जज साबह ने प्रशासन की ओर से पिता के अंतिम संस्कार करने का आवेदन किया था।
बहरहाल वकील ने अपने ग्रुप के साथियों के साथ मिलकर उनके पिता के अंतिम बिदाई दी, लेकिन जज साहब के इस डर ने रिश्तों की परीक्षा का क्रूर नमूना जरूर समाज के सामने रखा है।