दरअसल, चंडीगढ़ में एकत्रित हुए किसान नेताओं ने सरकार के प्रति अपना रोष व्यक्त करने के लिए 1 से 10 जून तक गांव बंद का ऐलान किया है। ये कदम उन्होंने मांगें पूरी नहीं होने पर उठाया है। गांव बंद के दौरान, यानी की 1 से 10 जून तक किसान अपने गांव को सील बंद रखेंगे। जिसके तहत गांव से बाहर किसी भी तरह का कोई भी सामान नहीं भेजा जाएगा। यहां तक कि गांवों से सब्जियां, फल और दूध तक भी शहर नहीं आ पाएगा। ऐसे में शहर के लोगों को रोजमर्रा की चीजों के भी लाले पड़ सकते हैं।
जिले से बाहर गेहूं भेजने में आएगा तीन करोड़ का भार फल, सब्जियां और दूध हप घर की रोज की जरूरत है, ऐसे में 10 दिनों तक इनकी कमी से काफी फर्क पड़ने वाला है।
बता दें कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई किसान संगठनों ने ये बड़ा कदम उठाया है। साथ ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गांव बंद की घोषणा भी कर दी है। साथ ही ये ऐलान भी किया है कि कोई भी किसान या उसके परिवार का कोई भी सदस्य गांव से बाहर पैर नहीं रखेगा और शहर की तरफ तो बिल्कुल भी रुख नहीं करेगा।
ऐसे होगी किसानों की आमदनी दोगुनी गांव बंद के मामले पर किसान नेता सामने आए और बोले कि- किसान काफी समय से अपनी मांगों को लेकर सरकार के पीछे पड़ी है लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेगती। किसान लंबे समय से स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करवाने की मांग कर रहे हैं और किसानों की आमदनी को भी बेहतर करने के लिए बार-बार सरकार से अनुरोध किया जा रहा है। लेकिन सरकार किसानों की कोई सुध नहीं ले रही है, जिसकी वजह से ऐसा कदम उठाने का नौबत आई है। किसानों को उम्मीद है कि इस कदम से सरकार पर थोड़ा असर तो जरूर होगा और हमारी मांगों को सुना जाएगा, उस पर अमल भी किया जाएगा।