लिहाजा सरकार और प्रशासन किसानों को लेकर सख्त हो गया। इसी के चलते गाजियाबाद प्रशासन ने किसान नेताओं को धरना खत्म करने का अल्टीमेटम दे डाला। लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत ( Rakesh Tikait ) के आंसुओं ने एक बार फिर इस आंदोलन को किसानों के पक्ष में पलट दिया। आईए जानते हैं कौन हैं राकेश टिकैत जिनका दिल्ली पुलिस से है खास नाता।
किसान आंदोलन के बीच सरकार के खिलाफ अन्ना हजारे ने खोला मोर्चा, इस दिन से करेंगे आमरण अनशन ऐसे बने किसानों के नेता
राकेश टिकैत किसान सियासत अपने पिता और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत से विरासत में मिली है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बाद महेंद्र सिंह टिकैत देश में सबसे बड़े किसान नेता थे। राकेश ने भी घर में पिता से किसानों के दुख दर्द के खिलाफ आवाज उठाना सीखा।
राकेश टिकैत किसान सियासत अपने पिता और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत से विरासत में मिली है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बाद महेंद्र सिंह टिकैत देश में सबसे बड़े किसान नेता थे। राकेश ने भी घर में पिता से किसानों के दुख दर्द के खिलाफ आवाज उठाना सीखा।
महेंद्र टिकैत की एक आवाज पर किसान दिल्ली से लेकर लखनऊ तक की सत्ता हिला देने की ताकत रखते थे। उन्होंने टिकैत ने एक नहीं कई बार केंद्र और राज्य की सरकारों को अपनी मांगों के आगे झुकने को मजबूर किया। वे लंबे समय तक किसान यूनियन के अध्यक्ष भी रहे।
महेंद्र की दूसरी संतान हैं राकेश
किसानों के मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले महेंद्र सिंह टिकैत की शादी बलजोरी देवी से हुई थी. उनके चार बेटे और दो बेटियां हैं। राकेश टिकैत महेंद्र की दूसरी संतान हैं। जबकि सबसे बड़े बेटे नरेश टिकैत हैं, जो मौजूदा समय में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
किसानों के मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले महेंद्र सिंह टिकैत की शादी बलजोरी देवी से हुई थी. उनके चार बेटे और दो बेटियां हैं। राकेश टिकैत महेंद्र की दूसरी संतान हैं। जबकि सबसे बड़े बेटे नरेश टिकैत हैं, जो मौजूदा समय में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
वहीं राकेश टिकैत किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। तीसरे नंबर पर सुरेंद्र टिकैत जो मेरठ के एक शुगर मिल में मैनेजर हैं वहीं छोटे बेटे नरेंद्र टिकैत खेती का काम करते हैं। 1985 में दिल्ली पुलिस में लगी नौकरी
राकेश सिंह टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली गांव में 4 जून 1969 को हुआ था। भले ही उन्होंने किसान परिवार में जन्म लिया, लेकिन अपने करियर की शुरुआत खेती से नहीं की बल्कि देश सेवा का जज्बा उन्हें पुलिस भर्ती के लिए प्रेरित करता रहा।
राकेश सिंह टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली गांव में 4 जून 1969 को हुआ था। भले ही उन्होंने किसान परिवार में जन्म लिया, लेकिन अपने करियर की शुरुआत खेती से नहीं की बल्कि देश सेवा का जज्बा उन्हें पुलिस भर्ती के लिए प्रेरित करता रहा।
उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई की है। उसके बाद एलएलबी किया। राकेश टिकैत की शादी साल 1985 में बागपत जनपद के दादरी गांव की सुनीता देवी से हुई थी। इसी साल उनकी नौकरी दिल्ली पुलिस में लगी थी।
इनके एक पुत्र चरण सिंह और दो पुत्री सीमा और ज्योति हैं। इनके सभी बच्चों की शादी हो चुकी है। पिता के खिलाफ बना दबाव
पुलिस में बतौर एसआई भर्ती हुए अभी राकेश को ज्यादा वक्त नहीं हुआ था। इसी दौरान 90 के दशक में दिल्ली के लाल किले पर महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था।
पुलिस में बतौर एसआई भर्ती हुए अभी राकेश को ज्यादा वक्त नहीं हुआ था। इसी दौरान 90 के दशक में दिल्ली के लाल किले पर महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था।
ऐसे में सरकार की ओर से राकेश टिकैत पर पिता महेंद्र सिंह टिकैत से आंदोलन खत्म कराने का दबाव बना। किसानों के लिए छोड़ी नौकरी
किसानों के हित की बात आई तो राकेश ने पुलिस की नौकरी को छोड़ना बेहतर समझा। नौकरी छोड़ वे किसानों के साथ खड़े हो गए थे।
किसानों के हित की बात आई तो राकेश ने पुलिस की नौकरी को छोड़ना बेहतर समझा। नौकरी छोड़ वे किसानों के साथ खड़े हो गए थे।
संभाली पिता की सियासत
इसके बाद से ही किसान राजनीति का हिस्सा बन गए और देखते ही देखते ही महेंद्र सिंह के किसान सियासत के वारिस के तौर पर उन्हें देखा जाने लगा। नाक और मुंह से नहीं बल्कि शरीर के इस हिस्से की जा रही कोरोना वायरस की जांच, जानिए क्यों वैज्ञानिकों ने इसे बताया सटीक तरीका
इसके बाद से ही किसान राजनीति का हिस्सा बन गए और देखते ही देखते ही महेंद्र सिंह के किसान सियासत के वारिस के तौर पर उन्हें देखा जाने लगा। नाक और मुंह से नहीं बल्कि शरीर के इस हिस्से की जा रही कोरोना वायरस की जांच, जानिए क्यों वैज्ञानिकों ने इसे बताया सटीक तरीका
राकेश ही लेते हैं अहम फैसले
नरेश टिकैत भले ही किसान यूनियन के अध्यक्ष बन गए हों, लेकिन व्यावहारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन की कमान राकेश टिकैत के हाथ में है और सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं।
किसान आंदोलन की रूप रेखा भी राकेश के ही हाथ में रहती है।
नरेश टिकैत भले ही किसान यूनियन के अध्यक्ष बन गए हों, लेकिन व्यावहारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन की कमान राकेश टिकैत के हाथ में है और सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं।
किसान आंदोलन की रूप रेखा भी राकेश के ही हाथ में रहती है।
राजनीति में भी आजमाई किस्मत
राकेश टिकैत ने दो बार राजनीति में भी किस्मत आजमाई। पहली बार 2007 में उन्होंने मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन नहीं जीत सके। इसके बाद राकेश टिकैत ने 2014 में अमरोहा जनपद से राष्ट्रीय लोक दल पार्टी से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, पर जीतकर संसद नहीं पहुंच सके।
राकेश टिकैत ने दो बार राजनीति में भी किस्मत आजमाई। पहली बार 2007 में उन्होंने मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन नहीं जीत सके। इसके बाद राकेश टिकैत ने 2014 में अमरोहा जनपद से राष्ट्रीय लोक दल पार्टी से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, पर जीतकर संसद नहीं पहुंच सके।
किसानों के लिए हर दम खड़े रहने वाले राकेश टिकैत अब तक 44 से ज्यादा बार जेल जा चुके हैं। मध्यप्रदेश में एक समय भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ उनको 39 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था।
ऐसे बने किसानों के नेता
राकेश टिकैत किसान सियासत अपने पिता और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत से विरासत में मिली है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बाद महेंद्र सिंह टिकैत देश में सबसे बड़े किसान नेता थे। राकेश ने भी घर में पिता से किसानों के दुख दर्द के खिलाफ आवाज उठाना सीखा।
राकेश टिकैत किसान सियासत अपने पिता और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत से विरासत में मिली है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बाद महेंद्र सिंह टिकैत देश में सबसे बड़े किसान नेता थे। राकेश ने भी घर में पिता से किसानों के दुख दर्द के खिलाफ आवाज उठाना सीखा।
महेंद्र टिकैत की एक आवाज पर किसान दिल्ली से लेकर लखनऊ तक की सत्ता हिला देने की ताकत रखते थे। उन्होंने टिकैत ने एक नहीं कई बार केंद्र और राज्य की सरकारों को अपनी मांगों के आगे झुकने को मजबूर किया। वे लंबे समय तक किसान यूनियन के अध्यक्ष भी रहे।
महेंद्र की दूसरी संतान हैं राकेश
किसानों के मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले महेंद्र सिंह टिकैत की शादी बलजोरी देवी से हुई थी. उनके चार बेटे और दो बेटियां हैं। राकेश टिकैत महेंद्र की दूसरी संतान हैं। जबकि सबसे बड़े बेटे नरेश टिकैत हैं, जो मौजूदा समय में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
किसानों के मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले महेंद्र सिंह टिकैत की शादी बलजोरी देवी से हुई थी. उनके चार बेटे और दो बेटियां हैं। राकेश टिकैत महेंद्र की दूसरी संतान हैं। जबकि सबसे बड़े बेटे नरेश टिकैत हैं, जो मौजूदा समय में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
वहीं राकेश टिकैत किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। तीसरे नंबर पर सुरेंद्र टिकैत जो मेरठ के एक शुगर मिल में मैनेजर हैं वहीं छोटे बेटे नरेंद्र टिकैत खेती का काम करते हैं। 1985 में दिल्ली पुलिस में लगी नौकरी
राकेश सिंह टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली गांव में 4 जून 1969 को हुआ था। भले ही उन्होंने किसान परिवार में जन्म लिया, लेकिन अपने करियर की शुरुआत खेती से नहीं की बल्कि देश सेवा का जज्बा उन्हें पुलिस भर्ती के लिए प्रेरित करता रहा।
राकेश सिंह टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली गांव में 4 जून 1969 को हुआ था। भले ही उन्होंने किसान परिवार में जन्म लिया, लेकिन अपने करियर की शुरुआत खेती से नहीं की बल्कि देश सेवा का जज्बा उन्हें पुलिस भर्ती के लिए प्रेरित करता रहा।
उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई की है। उसके बाद एलएलबी किया। राकेश टिकैत की शादी साल 1985 में बागपत जनपद के दादरी गांव की सुनीता देवी से हुई थी। इसी साल उनकी नौकरी दिल्ली पुलिस में लगी थी।
इनके एक पुत्र चरण सिंह और दो पुत्री सीमा और ज्योति हैं। इनके सभी बच्चों की शादी हो चुकी है। पिता के खिलाफ बना दबाव
पुलिस में बतौर एसआई भर्ती हुए अभी राकेश को ज्यादा वक्त नहीं हुआ था। इसी दौरान 90 के दशक में दिल्ली के लाल किले पर महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था।
पुलिस में बतौर एसआई भर्ती हुए अभी राकेश को ज्यादा वक्त नहीं हुआ था। इसी दौरान 90 के दशक में दिल्ली के लाल किले पर महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था।
ऐसे में सरकार की ओर से राकेश टिकैत पर पिता महेंद्र सिंह टिकैत से आंदोलन खत्म कराने का दबाव बना। किसानों के लिए छोड़ी नौकरी
किसानों के हित की बात आई तो राकेश ने पुलिस की नौकरी को छोड़ना बेहतर समझा। नौकरी छोड़ वे किसानों के साथ खड़े हो गए थे।
किसानों के हित की बात आई तो राकेश ने पुलिस की नौकरी को छोड़ना बेहतर समझा। नौकरी छोड़ वे किसानों के साथ खड़े हो गए थे।
संभाली पिता की सियासत
इसके बाद से ही किसान राजनीति का हिस्सा बन गए और देखते ही देखते ही महेंद्र सिंह के किसान सियासत के वारिस के तौर पर उन्हें देखा जाने लगा।
राकेश ही लेते हैं अहम फैसले
नरेश टिकैत भले ही किसान यूनियन के अध्यक्ष बन गए हों, लेकिन व्यावहारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन की कमान राकेश टिकैत के हाथ में है और सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं।
किसान आंदोलन की रूप रेखा भी राकेश के ही हाथ में रहती है।
इसके बाद से ही किसान राजनीति का हिस्सा बन गए और देखते ही देखते ही महेंद्र सिंह के किसान सियासत के वारिस के तौर पर उन्हें देखा जाने लगा।
राकेश ही लेते हैं अहम फैसले
नरेश टिकैत भले ही किसान यूनियन के अध्यक्ष बन गए हों, लेकिन व्यावहारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन की कमान राकेश टिकैत के हाथ में है और सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं।
किसान आंदोलन की रूप रेखा भी राकेश के ही हाथ में रहती है।
राजनीति में भी आजमाई किस्मत
राकेश टिकैत ने दो बार राजनीति में भी किस्मत आजमाई। पहली बार 2007 में उन्होंने मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन नहीं जीत सके। इसके बाद राकेश टिकैत ने 2014 में अमरोहा जनपद से राष्ट्रीय लोक दल पार्टी से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, पर जीतकर संसद नहीं पहुंच सके।
राकेश टिकैत ने दो बार राजनीति में भी किस्मत आजमाई। पहली बार 2007 में उन्होंने मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन नहीं जीत सके। इसके बाद राकेश टिकैत ने 2014 में अमरोहा जनपद से राष्ट्रीय लोक दल पार्टी से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, पर जीतकर संसद नहीं पहुंच सके।
किसानों के लिए हर दम खड़े रहने वाले राकेश टिकैत अब तक 44 से ज्यादा बार जेल जा चुके हैं। मध्यप्रदेश में एक समय भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ उनको 39 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था।