राकेश टिकैत किसान सियासत अपने पिता और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत से विरासत में मिली है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बाद महेंद्र सिंह टिकैत देश में सबसे बड़े किसान नेता थे। राकेश ने भी घर में पिता से किसानों के दुख दर्द के खिलाफ आवाज उठाना सीखा।
किसानों के मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले महेंद्र सिंह टिकैत की शादी बलजोरी देवी से हुई थी. उनके चार बेटे और दो बेटियां हैं। राकेश टिकैत महेंद्र की दूसरी संतान हैं। जबकि सबसे बड़े बेटे नरेश टिकैत हैं, जो मौजूदा समय में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
राकेश सिंह टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली गांव में 4 जून 1969 को हुआ था। भले ही उन्होंने किसान परिवार में जन्म लिया, लेकिन अपने करियर की शुरुआत खेती से नहीं की बल्कि देश सेवा का जज्बा उन्हें पुलिस भर्ती के लिए प्रेरित करता रहा।
पुलिस में बतौर एसआई भर्ती हुए अभी राकेश को ज्यादा वक्त नहीं हुआ था। इसी दौरान 90 के दशक में दिल्ली के लाल किले पर महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था।
किसानों के हित की बात आई तो राकेश ने पुलिस की नौकरी को छोड़ना बेहतर समझा। नौकरी छोड़ वे किसानों के साथ खड़े हो गए थे।
इसके बाद से ही किसान राजनीति का हिस्सा बन गए और देखते ही देखते ही महेंद्र सिंह के किसान सियासत के वारिस के तौर पर उन्हें देखा जाने लगा। नाक और मुंह से नहीं बल्कि शरीर के इस हिस्से की जा रही कोरोना वायरस की जांच, जानिए क्यों वैज्ञानिकों ने इसे बताया सटीक तरीका
नरेश टिकैत भले ही किसान यूनियन के अध्यक्ष बन गए हों, लेकिन व्यावहारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन की कमान राकेश टिकैत के हाथ में है और सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं।
किसान आंदोलन की रूप रेखा भी राकेश के ही हाथ में रहती है।
राकेश टिकैत ने दो बार राजनीति में भी किस्मत आजमाई। पहली बार 2007 में उन्होंने मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन नहीं जीत सके। इसके बाद राकेश टिकैत ने 2014 में अमरोहा जनपद से राष्ट्रीय लोक दल पार्टी से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, पर जीतकर संसद नहीं पहुंच सके।
राकेश टिकैत किसान सियासत अपने पिता और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत से विरासत में मिली है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बाद महेंद्र सिंह टिकैत देश में सबसे बड़े किसान नेता थे। राकेश ने भी घर में पिता से किसानों के दुख दर्द के खिलाफ आवाज उठाना सीखा।
किसानों के मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले महेंद्र सिंह टिकैत की शादी बलजोरी देवी से हुई थी. उनके चार बेटे और दो बेटियां हैं। राकेश टिकैत महेंद्र की दूसरी संतान हैं। जबकि सबसे बड़े बेटे नरेश टिकैत हैं, जो मौजूदा समय में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
राकेश सिंह टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली गांव में 4 जून 1969 को हुआ था। भले ही उन्होंने किसान परिवार में जन्म लिया, लेकिन अपने करियर की शुरुआत खेती से नहीं की बल्कि देश सेवा का जज्बा उन्हें पुलिस भर्ती के लिए प्रेरित करता रहा।
पुलिस में बतौर एसआई भर्ती हुए अभी राकेश को ज्यादा वक्त नहीं हुआ था। इसी दौरान 90 के दशक में दिल्ली के लाल किले पर महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था।
किसानों के हित की बात आई तो राकेश ने पुलिस की नौकरी को छोड़ना बेहतर समझा। नौकरी छोड़ वे किसानों के साथ खड़े हो गए थे।
इसके बाद से ही किसान राजनीति का हिस्सा बन गए और देखते ही देखते ही महेंद्र सिंह के किसान सियासत के वारिस के तौर पर उन्हें देखा जाने लगा।
राकेश ही लेते हैं अहम फैसले
नरेश टिकैत भले ही किसान यूनियन के अध्यक्ष बन गए हों, लेकिन व्यावहारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन की कमान राकेश टिकैत के हाथ में है और सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं।
किसान आंदोलन की रूप रेखा भी राकेश के ही हाथ में रहती है।
राकेश टिकैत ने दो बार राजनीति में भी किस्मत आजमाई। पहली बार 2007 में उन्होंने मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन नहीं जीत सके। इसके बाद राकेश टिकैत ने 2014 में अमरोहा जनपद से राष्ट्रीय लोक दल पार्टी से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, पर जीतकर संसद नहीं पहुंच सके।