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जिंक का ज्यादा इस्तेमाल फायदे की जगह पहुंचा सकता है नुकसान, ब्लैक फंगस का भी बन रहा बड़ा कारण!

कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शरीर की कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता और इसे बढ़ाने के लिए दी जा रही स्टेराइड तथा कुछ अन्य चीजें ब्लैक फंगस जैसी बीमारी को पनपने में मददगार साबित हो रही हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि इसमें जिंक यानी जस्ता भी शामिल है।
 

May 29, 2021 / 01:58 pm

Ashutosh Pathak

नई दिल्ली।
देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण की दूसरी लहर का कहर अब भी जारी है। शुक्रवार तक देश में इस महामारी से करीब 3 लाख 18 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, इस महामारी के साथ-साथ भारत में ब्लैक फंगस भी जानलेवा बीमारी के तौर पर उभरा है। कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शरीर की कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता और इसे बढ़ाने के लिए दी जा रही स्टेराइड तथा कुछ अन्य चीजें ब्लैक फंगस जैसी बीमारी को पनपने में मददगार साबित हो रही हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि इसमें जिंक यानी जस्ता भी शामिल है।
विशेषज्ञों की मानें तो दवाओं के जरिए जो जिंक कोरोना संक्रमितों को इलाज के दौरान दी जा रही है, उससे ब्लैक फंगस जैसी जानलेवा बीमारी उभर रही है। इस बारे में आईएमए यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर राजीव जयदेवन ने एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट के मुताबिक, शरीर में जिंक की अधिक मात्रा का होना ब्लैक फंगस के लिए जरूरी स्थितियां पैदा करता है। इससे संक्रमण का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। इसके साथ ही जिंक और ब्लैक फंगस के बीच संबंध की जांच को लेकर चर्चा भी शुरू हो गई है।
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जिंक के बिना जिंदा नहीं रह सकता फंगस
विशेषज्ञों का मानना है कि पहले भी जिंक और फंगस खासकर ब्लैक फंगस को लेकर शोध हो चुके हैं। यह भी देखा गया है कि जिंक के बिना फंगस जिंदा नहीं रह सकता। ऐसे में कोरोना संक्रमण के दौरान जिंक के अधिक इस्तेमाल और इसके बाद फंगस के मामलों का सामने आना, संयोग नहीं हो सकता। माना यह भी जा रहा है कि यदि मरीज संतुलित मात्रा में जिंक ले तो स्थितियां सुधर सकती हैं।
छह तरह के फंगस बढऩे का खतरा अधिक रहता है
दरअसल, अमरीकी रिसर्च इंस्टीट्यूट नेशनल सेंटर फॉर बॉयोटेक्नोलॉजी इनफरमेशन यानी एनसीबीआई भी एक रिसर्च कर चुका है। इस रिसर्च की रिपोर्ट में सामने आया कि जिंक का अधिक इस्तेमाल फंगल संक्रमण के खतरे को बढ़ा देता है। विशेष रूप से छह तरह के फंगस के बढऩा का खतरा अधिक रहता है।
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पिछले साल 93 प्रतिशत खपत बढ़ी, इस बार और ज्यादा हुई
आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में ही वर्ष 2020 में जिंक की टैबलेट की खपत 93 प्रतिशत तक बढ़ गई। इस बीच करीब 54 करोड़ जिंक के टैबलेटों की बिक्री हुई। वहीं, गत फरवरी से इसमें और अधिक बढ़ोतरी हुई है। कोरोना संक्रमित लोग विटामिन सी के साथ-साथ जिंक का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। यही नहीं डॉक्टर भी ऐसी दवाएं खूब लिख रहे हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है, कई और बीमारियों में फायदेमंद
बहरहाल, ब्लैक फंगस को लेकर जिंक का क्या संबंध है, इस पर रिसर्च तो अभी चल ही रही है, मगर जिंक हमेशा से मानव शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला कारक माना जाता रहा है। डॉक्टर अक्सर इलाज के दौरान टैबलेट के रूप में इसे खाने की सलाह देते रहे हैं। यह संक्रमण और सांस से जुड़ी बीमारियों में खासा फायदेमंद है। इसके अलावा, एक्जिमा, अस्थमा और हाई ब्लड प्रेशर के दौरान भी जिंक लेने से परिणाम बेहतर सामने आते हैं।
दवाओं के अलावा, कई और चीजें भी जिंक के अच्छे स्रोत
यही नहीं, पेट खराब होने पर भी डॉक्टर जिंक खाने की सलाह देते हैं, क्योंकि इससे दस्त रूकती है। डॉक्टर अलग-अलग उम्र के लोगों को विभिन्न तय मात्रा में जिंक लेने की सलाह देते हैं। हालांकि, प्राकृतिक तौर पर देखें तो मंूगफली जिंक का सबसे अच्छा स्रोत है। इसके अलावा, सफेद मटर, तरबूज के बीच, दही और अनार भी जिंक का बढिय़ा स्रोत माने जाते हैं।
किडनी फेल होने से लेकर जान तक ले सकता है जिंक
बहरहाल, जिंक का इस्तेमाल हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर शरीर में कई तरह की दिक्कतें भी पैदा हो सकती हैं जैसे, किडनी कमजोर होना और लगातार इस्तेमाल से किडनी का फेल कर जाना, पेट खराब होना, थकावट होना, बुखार होना और फंगल इन्फेक्शन जैसी गंभीर समस्या हो सकती है, जो जानलेवा भी बन सकती हैं।

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