अभी तक उपेक्षित इस क्षेत्र में क्रांति लाने की योजना के तहत दो महत्वाकांक्षी योजना पर 28 हजार 343 करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा वित्त मंत्री ने की है इनमें एनिमल हसबैंड्री इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के तहत 15,000 करोड़ तो नेशनल ऐनिमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के तहत 13,343 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। आइए हम आपको बताते हैं कि इन योजनाओं के तहत भारत सरकार किस लक्ष्य को हासिल करना चाहती है।
कोविद-19 : लुधियाना में RPF के 18 जवान पाए गए कोरोना पॉजिटिव एनिमल हसबैंड्री इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड केंद्र सरकार की ओर से वित्त मंत्री ने 15,000 करोड़ रुपए का एनिमल हसबैंड्री इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड की घोषणा की है। इसके साथ ही डेयरी प्रोसेसिंग में निजी कंपनियों के निवेश को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। ताकि जो दूध उत्पादन होता है उसकी प्रोसेसिंग करने के लिए इंडस्ट्री लग सकें। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के रोजगार के अवसर पैदा होंगे साथ ही दुग्ध उत्पादों के निर्यात को बढ़ा मिलेगा।
मोदी सरकार को प्रवासी मज़दूरों की भूख का ख़्याल, हर महीने देगी गेहूं, चावल और दाल नेशनल ऐनिमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम बता दें कि देश में पालतू मवेशी के मुंह में घाव होने की बीमारी बहुत पुरानी है। इसे आम भाषा में मुंहपका और खुरपका कहा जाता है। इसका असर दूध उत्पादन पर भी होता है।
इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि पशुओं की सुरक्षा के लिए देशभर में टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। इसे नेशनल ऐनिमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम नाम दिया गया है। इस कार्यक्रम पर बजट 13,343 करोड़ रुपए होगा। इस प्रोग्राम के तहत 53 करोड़ जानवरों को वैक्सीन दी जाएगी जिसमें 1.5 करोड़ गाय-भैंस शामिल होंगे।
इसका मकसद देशभर में पशुधन को रोगमुक्त करना है। इसके पीछे मुख्य मकसद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग बढ़ाने की है। पशुओं को अच्छा जीवन जीने का अवसर मुहैया कराना है। साथ ही दूध उत्पादन में बढ़ोतरी कर दूध पाउडर जैसे उत्पाद के साथ कैंटल फ़ीड के निर्यात को प्रोत्साहन देना भी है।
इसके साथ ही चीज प्रोसेस्ड फूड के निर्माण और निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए भारत सरकार ने इन्सेंटिव देने की भी घोषणा की है।
सरकारी कर्मचारियों को मिल सकता है साल में 15 दिन Work from Home का विकल्प अपार संभावनाओं का भंडार है पशुपालन उद्योग भारत अर्थव्यवस्था में पशुपालन का विशेष महत्व है। सकल घरेलू कृषि उत्पाद में पशुपालन कारोबार की हिस्सेदारी 28 से 30 फीसदी है। इसमें दुग्ध एक ऐसा उत्पाद है जिसका योगदान सर्वाधिक है। भारत में विश्व की कुल संख्या का 15 प्रतिशत गाए एवं 55 प्रतिशत भैंसें है। देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 53 प्रतिशत भैंसों व 43 प्रतिशत गायों और 3 प्रतिशत बकरियों से प्राप्त होता है।
भारत लगभग 121.8 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन करके विश्व में प्रथम स्थान पर है जो कि एक मिसाल है। यह उपलब्धि पशुपालन से जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे – मवेशियों की नस्ल, पालन-पोषण, स्वास्थ्य एवं आवास प्रबंधन इत्यादि में किए गए अनुसंधान एवं उसके प्रचार-प्रसार का परिणाम है। लेकिन आज भी कुछ अन्य देशों की तुलना में हमारे पशुओं का दुग्ध उत्पादन अत्यन्त कम है और इस दिशा में सुधार की बहुत संभावनाएं है।
छोटे, भूमिहीन तथा सीमांत किसान जिनके पास फसल उगाने एवं बड़े पशु पालने के अवसर सीमित हैं उनके पास पशुओं जैसे भेड़-बकरियाँ, सूअर एवं मुर्गीपालन रोजी-रोटी का साधन व गरीबी से निपटने का आधार है। विश्व में हमारा स्थान बकरियों की संख्या में दूसरा, भेड़ों की संख्या में तीसरा एवं कुक्कुट संख्या में सातवां है।
सूरज पर भी लगा लॉकडाउन का ग्रहण, नासा ने भीषण ठंड, भूकंप और सूखे की जताई चिंता कम खर्चे में, कम स्थान एवं कम मेहनत से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए छोटे पशुओं का अहम योगदान है। अगर इनसे सम्बंधित कोरोबार में नवीनतम तकनीकि का प्रयोग कर पशुधन कारोबार के क्षेत्र में तेजी विकास दर हासिल करना आसान है।
भारत में लगभग 19.91 करोड़ गाय, 10.53 करोड़ भैंस, 14.55 करोड़ बकरी, 7.61 करोड़ भेड़, 1.11 करोड़ सूअर तथा 68.88 करोड़ मुर्गी का पालन किया जा रहा है। इन आंकड़ों से साफ है कि पशुपालन व्यवसाय में ग्रामीणों को रोजगार प्रदान करने तथा उनके सामाजिक एवं आर्थिक स्तर को ऊंचा उठाने की अपार संभावनाएं हैं। संभवत: इस बात ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार पिछले कुछ वर्षों से 2022 तक कृषि आय दोगुना करने का जिक्र बार-बार करती आई हैं।