डॉ. कलाम के विचारों ने न जाने कितने युवाओं की जिंदगी बदल दी। उनका संपूर्ण जीवन करोड़ों देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गया। उनकी कथनी और करनी ने ना सिर्फ देश का गौरव बढ़ाया बल्कि लाखों युवाओं को जिदंगी में आगे बढ़ने का मकसद और मार्गदर्शन किया। डॉ. कलाम अपने जीवन में जीरो से शुरू कर देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचे।
यह भी पढ़ेंः पाकिस्तान को खदेड़ने के बाद भी 22 साल से इस बात का अफसोस मना रहे पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीपी मलिक अपने भाषणों में उन्होंने ना सिर्फ अपने जीवन संघर्ष को साझा किया बल्कि एक बार तो यहां तक बताया कि वे अगले जन्म में भारत के किस शहर में जन्म लेना चाहते हैं। डॉ. अब्दुल कलाम ने हमें समझाया कि ईमानदारी के रास्ते पर चलकर आप कैसे देश के सबसे प्रिय नागरिक बन सकते हैं और देश का सबसे बड़ा पद भी संभाल सकते हैं। उनके भाषण लोगों के लिए ना सिर्फ प्रेरक होते थे बल्कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए भी उत्साहित करते थे।
डॉ. कलाम को उत्तर प्रदेश से काफी लगा रहा। 27 मई 2008 में एक कार्यक्रम में वे यूपी के मेरठ जिले पहुंचे थे। उस समय कलाम साहब ने उत्तर प्रदेश की खूब तारीफ की। अपने भाषण में उन्होंने कहा था कि उनका अगला जन्म क्रांतिधरा ( मेरठ )पर ही हो।
इसलिए मेरठ में लेना था अगला जन्म
डॉक्टर. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा कि मेरठ की धरती पर सपूतों ने जन्म लिया है। यही वजह है कि अगले जन्म में मेरठ की धरा पर पैदा होना चाहते हैं ताकि, दुनिया उन्हें ‘क्रांतिधरा का पुत्र’ कहे।
डॉक्टर. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा कि मेरठ की धरती पर सपूतों ने जन्म लिया है। यही वजह है कि अगले जन्म में मेरठ की धरा पर पैदा होना चाहते हैं ताकि, दुनिया उन्हें ‘क्रांतिधरा का पुत्र’ कहे।
देश के महान वैज्ञानिक, भारत के मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने युवाओं को मानवता का पैगाम दिया। डॉ. कलाम ने अपने व्यक्तित्व में कभी इस बात को झलकने नहीं दिया कि वे देश के राष्ट्रपति हैं, मिसाइमैन हैं या फिर देश के ख्यात वैज्ञानिक हैं। वे हमेशा लोगों से आम इंसान की तरह ही मिले और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
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डॉ. कलाम ने शिलांग में युवाओं को अपना अंतिम संबोधन दिया। जब छात्र-छात्राओं के बीच मंच से भाषण देने पहुंचे तो शायद ही किसी को अंदाजा होगा कि यह संबोधन उनका अंतिम होगा। इस स्पीच के दौरान उन्होंने न सिर्फ मानवता को लेकर चिंता जाहिर की थी बल्कि धरती पर फैले प्रदूषण को लेकर भी चिंता जताई थी।
डॉ. कलाम ने शिलांग में युवाओं को अपना अंतिम संबोधन दिया। जब छात्र-छात्राओं के बीच मंच से भाषण देने पहुंचे तो शायद ही किसी को अंदाजा होगा कि यह संबोधन उनका अंतिम होगा। इस स्पीच के दौरान उन्होंने न सिर्फ मानवता को लेकर चिंता जाहिर की थी बल्कि धरती पर फैले प्रदूषण को लेकर भी चिंता जताई थी।