स्वास्थ्य मंत्रालय के दो विशेषज्ञों का बड़ा दावा, इस महीने तक खत्म होगा भारत में कोरोना वायरस का कहर अगर बात करें विशेषज्ञों यानी सुपरस्पेशिएलिटी कोर्स करने वाले सीनियर रेजीडेंट्स की तो छत्तीसगढ़, हरियाणा और यूपी के ग्रामीण हिस्सों में इनकी तनख्वाह बेहतर है। यहां वे महाराष्ट्र की तुलना में एक महीने में 1 से डेढ़ लाख रुपये कमाते हैं, जबकि महाराष्ट्र में उन्हें औसतन 59,000 रुपये मिलते हैं।
ऐसे समय में जब देश भर के रेजिडेंट डॉक्टर कोरोना वायरस ( coronavirus ) मरीजों के इलाज में सबसे आगे जुटे हुए हैं, उन्हें मिलने वाला वेतन इस पर निर्भर करता है कि वे किस प्रदेश में रह रहे हैं। छत्तीसगढ़ डॉक्टरों को सबसे अधिक भुगतान करता है। यूपी, बिहार, झारखंड, हरियाणा सभी एक महीने में 80 हजार से 1 लाख रुपये का भुगतान करते हैं। जबकि महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों 40,000 से 60,000 रुपये का मासिक वेतन दिया जाता है।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया देश भर में एमबीबीएस के बाद एक समान स्टाइपेंड दिए जाने की योजना बना रही है, लेकिन सभी राज्यों द्वारा इस योजना को मंजूरी दिया जाना बाकी है। केंद्रीय सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में तैनात किए गए इंटर्न को सबसे अधिक 23,500 रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाता है। भारत में संचालित प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में उनका स्टाइपेंड राजस्थान में सबसे कम मात्र 7,000 रुपये है, तो कर्नाटक में सबसे अधिक 30 हजार रुपये है। मेडिकल इंटर्न ऐसे छात्र होते, जिन्होंने एक मेडिकल स्कूल में साढ़े चार साल पूरे किए हैं और एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने से पहले मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पताल में अपनी आवासीय इंटर्नशिप करते हैं।
COVID-19 मरीजों पर भारी पड़ रहा इलाज का खर्च, अस्पतालों का बिल सुनकर माथा पकड़ लेंगे आप जबकि महाराष्ट्र में इंटर्न को 6,000 रुपये स्टाइपेंड मिलता है। हाल ही में राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर 11,000 रुपये कर दिया था। लेकिन मुंबई के बीएमसी अस्पतालों में इस बढ़ोतरी को दिया जाना बाकी है। राज्य के रेजीडेंट्स और सीनियर रेजीडेंट्स को औसतन तीन साल में क्रमशः 54 हजार और 59 हजार रुपये मिलते हैं।
बीएमसी ने हाल ही में कोरोना वार्डों में तैनात एमबीबीएस इंटर्न के लिए 50,000 रुपये के अस्थायी स्टाइपेंड की घोषणा की थी। महाराष्ट्र में चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशालय के प्रमुख डॉ. टीपी. लहाणे ने कहा कि रेजीडेंट्स के लिए 10,000 रुपये की स्थायी बढ़ोतरी की उम्मीद है।
PPE Kits पहनने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को लेकर केंद्र सरकार ने दी बड़ी जानकारी स्नातकोत्तर स्तर पर प्रत्येक राज्य में हर साल के रेजीडेंट्स के लिए स्टाइपेंड अलग होता है। कुछ राज्यों में नए डॉक्टर्स को लुभाने के लिए कई स्टाइपेंड हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रेजीडेंट्स को दिया जाने वाला स्टाइपेंड शहर की तुलना में ज्यादा है। जैसे छत्तीसगढ़ में ग्रामीण क्षेत्रों में रेजीडेंट्स को शहरी क्षेत्रों के डॉक्टर्स की तुलना में 20,000-30,000 रुपये ज्यादा दिए जाते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार, यूपी, छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकारी डॉक्टरों को बहुत अधिक वेतन देते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन राज्यों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क पर निर्भरता महाराष्ट्र, तमिलनाडु या कर्नाटक की तुलना में ज्यादा है। इनमें चैरिटेबल ट्रस्टों और और निजी चिकित्सकों द्वारा संचालित अस्पताल ज्यादा हैं।