उल्लेखनीय है कि योग गुरु बाबा रामदेव के विरुद्ध देश भर की सात एसोसिएशन्स (पटना स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के तीन रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और भुवनेश्वर, रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़, यूनियन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ऑफ पंजाब (यूआरडीपी), रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, मेरठ और तेलंगाना जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन, हैदराबाद) ने याचिका दायर करते हुए कहा था कि बाबा रामदेव न केवल एलोपैथिक उपचार वरन कोरोना वैक्सीन की सुरक्षा और उनके प्रभाव के बारे में भी आम जनता के मन में संदेह उत्पन्न कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनका बयान लाखों लोगों को प्रभावित कर सामान्य जनता के मन में एलोपैथिक उपचारों के प्रति भ्रम पैदा कर सकता है।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से कपिल सिब्बल, अखिल सिब्बल और अधिवक्ता हर्षवर्धन कोटला ने कोर्ट से कहा है कि बाबा रामदेव गलत तरीके से यह दर्शाने का प्रयास कर रहे हैं कि कोविड़-19 वायरस से मरने वाले लोगों की मृत्यु के लिए एलोपैथिक उपचार पद्धति जिम्मेदार है। वकीलों के अनुसार बाबा रामदेव ने यह भी कहा कि एलोपैथिक डॉक्टर मरीजों की मृत्यु के साथ-साथ मुनाफाखोरी का भी कारण बन रहे हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर करते हुए एसोसिएशन ने कहा है कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं को देखते हुए यह अत्यन्त जरूरी है कि बाबा रामदेव द्वारा की जा रही गलतबयानी को तुरंत रोका जाए।