संवाददाता सम्मेलन में मौजूद पत्रकारों से बात करते हुए नोडल अधिकारी (मीडिया) नलिन चौहान ने जो आंकड़े सामने रखे। वे बेहद चौंकाने वाले निकले। पता चला कि 12 जनवरी, 2020 तक राज्य निर्वाचन कार्यालय के चाबुक के चलते 25 हजार से ज्यादा लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा लोगों के खिलाफ (करीब 24 हजार 687) सिर्फ दिल्ली पुलिस एक्ट के तहत एहतियातन कार्रवाई की गई है, जबकि 1091 लोगों के खिलाफ सीआरपीसी की तमाम धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
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नलिन चौहान ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आगे बताया, “चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के बाबत 21 एफआईआर दर्ज की गईं। जबकि 4 मामलों में थानों में डेयली डायरी यानी डीडी एंट्री दर्ज कराई गई है, जबकि 84 मामले शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज किए गए। अवैध हथियार जब्ती मामले में 97 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। जबकि 97 अवैध हथियार और 154 कारतूस व अन्य विस्फोटक जब्त किए गए हैं। जबकि 109 किलोग्राम से ज्यादा मादक पदार्थ भी पकड़े गए।”
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एक सवाल के जबाब में नोडल अधिकारी (मीडिया) ने कहा कि हां, अवैध शराब की धर-पकड़ भी की गई। यह अभियान अभी जारी रहेगा। शराब जब्ती के साथ-साथ 229 लोगों को शराब के साथ गिरफ्तार भी किया गया। आबकारी अधिनियम (कानून) के तहत 220 कुल एफआईआर 12 जनवरी, 2020 तक दिल्ली राज्य में दर्ज की जा चुकी हैं।
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राज्य में अब तक 2152 लाइसेंसी हथियार पुलिस के पास जमा कराए जा चुके हैं, ताकि चुनावों को शांतिपूर्ण तरीके से कराया जा सके। चुनाव आयोग द्वारा शिकंजा कसे जाने का ही परिणाम है कि राज्य में 4 लाख 22 हजार रुपये की संदिग्ध धनराशि भी जब्त की गई है। चार ऐसे मामले भी चुनाव कार्यालय ने दर्ज कराए हैं, जिनमें, लाउडस्पीकर, वाहन, चुनावी सभा आदि के उल्लघंन का पता चला था।
संवाददाता सम्मेलन में मुख्य चुनाव कार्यालय के नोडल अधिकारी नलिन चौहान ने आगे बताया, “अब तक करीब चार लाख होर्डिग, बैनर व पोस्टर्स हटाए जा चुके हैं।”