भारत बायोटेक का बड़ा बयान, कहा- कोवैक्सीन के 1 बैच के निर्माण और वितरण में लगते हैं 120 दिन
लिहाजा, तीसरी लहर के आने की संभावनाओं के बीच सरकार देश में तेजी के साथ टीकाकरण के दायरे को बढ़ाने पर काम कर रही है। इसी कड़ी में बच्चों को टीका लगाने को लेकर लगातार ट्रायल किए जा रहे हैं। अब दिल्ली एम्स मंगलवार (15 जून) से 6 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों की स्क्रीनिंग (चयन) शुरू करने वाली है। इस आयु वर्ग के बच्चों पर भारत बायोटैक द्वारा निर्मित स्वदेशी टीका कोवैक्सिन का ट्रायल किया जाएगा।
12 -18 साल के आयु वर्ग का ट्रायल पूरा
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 12 से 18 साल की उम्र वालों में कोवैक्सिन का क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है। उन्हें वैक्सीन की सिंगल डोज दी गई है। शनिवार तक जिन बच्चों को वैक्सीन लगाई गई है वो अब तक पूरी तरह से स्वस्थ हैं। डॉक्टरों की टीम उनकी लगातार मॉनिटरिंग कर रही है।
अब 6-12 साल के बच्चों की भर्ती के बाद एम्स दिल्ली 2-6 साल के आयु वर्ग के लिए परीक्षण करेगा। यह ट्रायल्स देशभर के 525 केंद्रों पर होंगे। इनमें 175-175 बच्चों के तीन ग्रुप बनाए गए हैं। पहले ग्रुप में 12 से 18 साल की उम्र के 175 बच्चे शामिल होंगे। दूसरे ग्रुप में 6 से 12 साल की उम्र के 175 बच्चे और तीसरे ग्रुप में 2 से 6 साल की उम्र के 175 बच्चों को शामिल किया जाएगा।
एम्स पटना, मैसूर मेडिकल कॉलेज और कर्नाटक में रीसर्च इंस्टीट्यूट को भी बच्चों पर क्लिनिकल परीक्षण करने के लिए चुना गया है। एम्स पटना के निदेशक प्रभात कुमार सिंह ने कहा “हमने 6-12 साल की उम्र के बच्चों के लिए भर्ती शुरू कर दी है। 12-18 साल की उम्र के बच्चों पर क्लिनिकल ट्रेल्स के लिए भर्ती खत्म हो गई है। उन्हें निगरानी में रखा जाएगा।”
12 मई को मिली थी परीक्षण की मंजूरी
बता दें कि कोवैक्सिन टीके का इस्तेमाल करने को लेकर 2 से 18 साल की आयु वर्ग में परीक्षण की मंजूरी 12 मई को दी गई थी। वहीं, इससे पहले पटना एम्स में परीक्षण किया जा रहा है कि क्या कोवैक्सिन बच्चों के लिए सही है या नहीं।
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केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए 12-18 वर्ष आयु वर्ग के 1 करोड़ 30 लाख बच्चों में 80 प्रतिशत को आक्रामक रूप से टीका लगवाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक 12-15 वर्ष की आयु के किशोरों में इस्तेमाल के लिए यूरोपीय संघ में फाइजर के mRNA वैक्सीन की टेस्टिंग का अप्रूवल मिला है। इससे पहले कुछ देशों में बच्चों को टीका लगाने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है।