आपको बता दें कि 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला किया गया था। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।
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सीआरपीएफ की यह रिपोर्ट गृह मंत्रालय के बयान के बिल्कुल उलट है। दरअसल, गृह मंत्रालय ने दावा किया था कि पुलवामा आतंकी हमला खुफिया विफलता का नतीजा नहीं था।
लेकिन अब रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आईईडी खतरे को लेकर एक चेतावनी जारी की गई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि घाटी में खुफिया एजेंसियों ने इस तरह की कोई भी जानकारी साझा नहीं की थी।
यही नहीं गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि जम्मू—कश्मीर पिछले 30 सालों से सीमापार समर्थित आतंकवाद का दंश झेल रहा है।
सीआरपीएफ की रिपोर्ट के अनुसार 14 फरवरी को काफिले में 78 वाहन शामिल थे। ये सभी वाहन 2547 जवानों को लेकर जम्मू से श्रीनगर के लिए रवाना हुए थे।
नियमानुसार हर 4 गाड़ियों के बीच में लंबा गैप होना अनिवार्य है, लेकिन इसी का नतीजा है कि हमले की चपेट में केवल एक गाड़ी ही आ पाई।
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सूत्रों की मानें तो हमला ऐसे समय हुआ जब काफिला एक ऐसे वीरान रास्ते से गुजर रहा था, जो दिखने में असामान्य सा था।
सुरक्षा जानकारों की मानें तो खराब मौसम की वजह से जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर तकरीबन नगण्य यातायात के चलते सुरक्षा के लिहाज से यह एक आदर्श रणनीति होती।
जैसे सीआरपीएफ का काफिला काजीगुंड से करीब 60 किलोमीटर पर पुलवामा पहुंचा तो आत्मघाती आतंकी ने हमला कर दिया।