सबको स्वास्थ्य सुरक्षा देने के लिए शुरू हुई आयुष्मान भारत योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इंदु भूषण ने सोमवार को पत्रिका कीनोट सलोन में ये बात कही। शो का मॉडरेशन पत्रिका के शैलेंद्र तिवारी और महेंद्रप्रताप सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि देश की 40 फीसदी आबादी यानी 50 करोड़ से अधिक लोग इस योजना का लाभ ले रहे हैं। देश के 23 हजार अस्पताल योजना के तहत इलाज करने लिए सूचीबद्ध हैं। अगले वर्ष तक यह संख्या 30 हजार पहुंच सकती है।
कोविड के दौर में संदिग्ध मरीजों को चेताया
सीईओ ने कहा कि हम सिर्फ इलाज की जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं, बल्कि उससे आगे की बात कर रहे हैं। कोविड की शुरुआत से पहले हर हफ्ते दो लाख लोगों का इलाज कर रहे थे। अब तक एक करोड़ 10 लाख लोगों का इलाज किया गया है। वे पूरी तरह सुरक्षित हैं। डेटा से उनकी बीमारी के आधार पर देखा गया कि ऐसे कौन लोग हैं, जिनको कोविड से अधिक खतरा है। उन्हें फोन कर बताया गया कि कैसे बचकर रह सकते हैं। आयुष्मान भारत के तहत करीब 27 हजार लोगों की कोविड टेस्टिंग और 18 हजार लोगों का इलाज किया है। आरोग्य सेतु के जरिए भी नजर बनाए हैं।
सीईओ ने कहा कि हम सिर्फ इलाज की जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं, बल्कि उससे आगे की बात कर रहे हैं। कोविड की शुरुआत से पहले हर हफ्ते दो लाख लोगों का इलाज कर रहे थे। अब तक एक करोड़ 10 लाख लोगों का इलाज किया गया है। वे पूरी तरह सुरक्षित हैं। डेटा से उनकी बीमारी के आधार पर देखा गया कि ऐसे कौन लोग हैं, जिनको कोविड से अधिक खतरा है। उन्हें फोन कर बताया गया कि कैसे बचकर रह सकते हैं। आयुष्मान भारत के तहत करीब 27 हजार लोगों की कोविड टेस्टिंग और 18 हजार लोगों का इलाज किया है। आरोग्य सेतु के जरिए भी नजर बनाए हैं।
एनबीएच की कसौटी पर खरा उतरें अस्पताल
हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती सरकारी और निजी क्षेत्रों में इलाज की गुणवत्ता सुधारने की है। इसके लिए इंसेंटिव प्रोग्राम शुरू किया है। यदि अस्पताल एनएबीच की मान्यताएं पूरी करतें हैं तो पैकेज पर 15 फीसदी अतिरिक्त भुगतान करते हैं। स्टडी बताती हैं कि अस्पताल में पलंगों की बदहाल स्थिति बताती हैं कि आप उपचार ही नहीं कराएं। उपचार की गुणवत्ता पर काफी काम करने की आवश्यकता है। स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकाल बनाया जा रहा है। लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। सार्वजनिक अस्पतालों को एनक्यूएस सर्टिफिकेट के लिए प्रेरित कर रहे हैं। एनबीएच सर्टिफिकेट के लिए भी कहा जा रहा है।
हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती सरकारी और निजी क्षेत्रों में इलाज की गुणवत्ता सुधारने की है। इसके लिए इंसेंटिव प्रोग्राम शुरू किया है। यदि अस्पताल एनएबीच की मान्यताएं पूरी करतें हैं तो पैकेज पर 15 फीसदी अतिरिक्त भुगतान करते हैं। स्टडी बताती हैं कि अस्पताल में पलंगों की बदहाल स्थिति बताती हैं कि आप उपचार ही नहीं कराएं। उपचार की गुणवत्ता पर काफी काम करने की आवश्यकता है। स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकाल बनाया जा रहा है। लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। सार्वजनिक अस्पतालों को एनक्यूएस सर्टिफिकेट के लिए प्रेरित कर रहे हैं। एनबीएच सर्टिफिकेट के लिए भी कहा जा रहा है।
मरीजों से लगातार ले रहे फीडबैक
गुणवत्ता सुधार के लिए लाभार्थी के डिस्चार्ज होने पर उसका फीडबैक लिया जाता है। इसके आधार पर अस्पताल से बात की जाती है। भविष्य में रेटिंग सिस्टम शुरू होगा, जो लाभार्थियों के फीडबैक के आधार पर उनकी स्टार रेटिंग तय करेगा। इसे वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाएगा और अस्पताल जिम्मेदार बनेंगे।
गुणवत्ता सुधार के लिए लाभार्थी के डिस्चार्ज होने पर उसका फीडबैक लिया जाता है। इसके आधार पर अस्पताल से बात की जाती है। भविष्य में रेटिंग सिस्टम शुरू होगा, जो लाभार्थियों के फीडबैक के आधार पर उनकी स्टार रेटिंग तय करेगा। इसे वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाएगा और अस्पताल जिम्मेदार बनेंगे।
स्वास्थ्य सुरक्षा सबसे खास
उन्होंने कहा कि सबको स्वास्थ्य सुरक्षा की आवश्यकता है। खासकर मध्यमवर्गीय परिवारों को। भारत सरकार यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज देने के लिए कटिबद्ध है। लक्ष्य 2030 तक सबको इससे जोड़ने का है। विभाग पायलट प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। देश को हेल्थ कवर देने में करीब 35 से 40 हजार करोड़ रुपए का बजट आएगा, जो जीडीपी का एक फीसदी से कम है।
उन्होंने कहा कि सबको स्वास्थ्य सुरक्षा की आवश्यकता है। खासकर मध्यमवर्गीय परिवारों को। भारत सरकार यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज देने के लिए कटिबद्ध है। लक्ष्य 2030 तक सबको इससे जोड़ने का है। विभाग पायलट प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। देश को हेल्थ कवर देने में करीब 35 से 40 हजार करोड़ रुपए का बजट आएगा, जो जीडीपी का एक फीसदी से कम है।
(डिस्क्लेमर : फेसबुक के साथ इस संयुक्त मुहिम में समाचार सामग्री, संपादन और प्रकाशन पर पत्रिका समूह का नियंत्रण है)