उल्लेखनीय है कि कोविशील्ड निजी कंपनियों द्वारा विकसित की गई है जबकि कोवैक्शीन को बनाने में सरकारी मदद भी दी गई है। भारत बायोटैक द्वारा तैयार की गई इस वैक्सीन के विकास में ICMR भी शामिल है। केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार ने गत वर्ष लोकसभा में भारत बायोटैक का नाम लिए बगैर बताया था कि ICMR ने वैक्सीन के विकास में 25 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए थे जबकि हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में बायोटैक के चेयरमैन कृष्णा ऐल्ला ने कहा था कि उन्हें केन्द्र सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है।
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उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय में सीरम और बायोटैक कंपनी की ओर से राज्य सरकारों को उपलब्ध कराए जा रहे टीकों की दरों को कम करने की मांग उठ रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी मंगलवार को एक सुनवाई के दौरान देश में टीकों की अलग-अलग दरों को लेकर केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया था। इसी बीच सीरम द्वारा राज्य सरकारों को दिए जाने वाले टीकों की दरें घटाने के बाद अब नजरें भारत बायोटैक की स्वदेशी कोवैक्शीन पर है।अगले 3 दिनों में के सभी राज्यों के लिए पहुंचेगी वैक्सीन की 20 लाख से अधिक डोज
वही दूसरी ओर कोवैक्सीन के अलग-अलग दामों को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में भी एक जनहित याचिका दायर की गई। इसमें सीरण और भारत बायोटैक को समान दर से बेचने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। याचिका में कहा गया कि टीके का प्रबंधन तथा वितरण निजी कंपनियों के हाथों में नहीं छोड़ा जा सकता। दवा कंपनियां बढ़ती मृत्यु दर के डर को भुना रही हैं।भारत को रूस से जल्द मिलेगी स्पुतनिक वैक्सीन, पीएम मोदी की पुतिन से फोन पर चर्चा
अदार पूनावाला ने कहा, मानवीय रुख अपनायासीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ ने कहा कि हमने मानवीय रुख अपनाते हुए कोविशील्ड के दामों को घटाने का फैसला किया है। इससे राज्यों के करोड़ों रुपए बचेंगे और टीकाकरण की गति तेज कर लाखों जिंदगियां बचाई जा सकेंगी।
केन्द्र सरकार वैक्सीन खरीदेगी – 150 रुपए में
राज्य सरकारों को वैक्सीन मिलेगी – 300 रुपए में
प्राइवेट हॉस्पिटल्स को वैक्सीन मिलेगी – 600 रुपए में इसके विपरीत कोवैक्सीन की दर केन्द्र सरकार के लिए 150 रुपए ही रखी गई है जबकि राज्य सरकारों के लिए 600 रुपए तथा प्राइवेट हॉस्पिटल्स के लिए 1200 रुपए रखी गई हैं।