COVID-19 मरीजों पर भारी पड़ रहा इलाज का खर्च, अस्पतालों का बिल सुनकर माथा पकड़ लेंगे आप मई के अंतिम सप्ताह में इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में दिल्ली ( Delhi ), मुंबई ( Mumbai ) और कोलकाता ( Kolkata ) के प्रमुख निजी अस्पतालों ( private hospital ) में भर्ती किए गए छह कोरोना वायरस रोगियों के विस्तृत बिलों की जांच की। इस दौरान छह दिनों के इलाज के लिए बिल 2.6 लाख रुपये से लेकर लगभग एक महीने के लिए 16.14 लाख रुपये तक आए। इन सभी मामलों में एक को छोड़कर बाकी सभी मरीज ठीक हो गए।
इनमें ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि दो रोगियों के पास बीमा कवरेज नहीं था और शेष चार की बीमा कंपनियों ने अस्पताल के पूरे बिल को कवर नहीं किया। मरीजों को 60,000 से लेकर 1.38 लाख रुपये अपनी जेब से खर्च करने पड़े। इन सभी बिलों में औसतन 4500 रुपये का COVID-19 जांच के लिए RT-PCR टेस्ट एक छोटा सा ही हिस्सा है।
वहीं, अस्पतालों द्वारा कोरोना वायरस मरीजों के इलाज के लिए बनाए जा रहे भारी-भरकम बिलों के चलते अब बीमा कंपनियों से इनकी तकरार होने लगी है। एक निजी बीमा कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के मुताबिक क्या अस्पताल पहले अपने मेडिकल इक्विपमेंट्स को सैनेटाइज नहीं करते थे, जो आजकल वो इसके लिए अलग से चार्ज करने लगे हैं। इस कठिन वक्त में अस्पताल मरीजों से हर चीज का पैसा वसूल रहे हैं।
इरडा ने पेश किया 50 हजार से 5 लाख तक कोरोना बीमा, कमरे की डेली लिमिट 5000 रुपये और भी बहुत कुछ पिछले कुछ दिनों में सामने आए कई मामलों में तो अस्पतालों ने हद ही कर दी। दिल्ली में एक मरीज के इलाज के दौरान अस्पताल ने करीब 70 हजार रुपये तो केवल PPE Kit का खर्च ही जोड़ दिया। जबकि 4.8 लाख कुल बिल में से 75 हजार रुपये वेंटिलेटर का खर्च वसूला गया।
दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर ने तो ओपीडी में आने वाले मरीज से हर विजिट में 150 रुपये सैनेटाइजेशन चार्ज के रूप में अलग से वसूलना शुरू कर दिया है। और इसके एवज में मरीज को केवल कुछ बूंदें हैंड सैनेटाइजर की ही दी जाती हैं। इसके अलावा तमाम निजी अस्पतालों ने मरीजों को केवल मास्क पहनने पर ही एंट्री देने का आदेश जारी कर दिया है और मेडिकल स्टोर में इन्हें ऊंची कीमत पर बेचा जा रहा है।
उधर, देश के निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस मरीजों के इलाज पर आने वाले खर्च की एक अधिकतम सीमा तय किए जाने के संबंध में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस संबंध में जवाब तलब किया है।
निजी अस्पतालों में कोरोना मरीज के इलाज की सीमा पर सुप्रीम कोर्ट ने किया केंद्र से जवाब तलब न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को इस संबंध में नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल देने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता अविशेक गोयनका ने उच्चतम न्यायालय से निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के खर्च की अधिकतम सीमा तय करने का अनुरोध किया था।
याचिका के मुताबिक केंद्र सरकार को समान मानक वाले ऐसे केंद्रों में इलाज की सांकेतिक दरों को भी निर्धारित करने के निर्देश दिए जाएं। वहीं, बीमा कंपनियों को मेडिक्लेम का समयबद्ध निपटान किए जाने के साथ ही सभी बीमित मरीजों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान किए जाने के निर्देश देने की अपील की गई।