उन्होंने कहा कि चीन से मिले 5 लाख किट्स का इस्तेमाल हॉटस्पॉट्स के साथ-साथ कोल्डस्पॉट्स क्षेत्रों में एक साथ किया जाएगा।
covid-19 : CDSCO ने 67 इंडियन फर्म्स को दी रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग की इजाजत, तेजी से जांच में मिलेगी मदद ICMR में महामारी विज्ञान और संचारी रोगों के प्रमुख डॉ. आर रमन गंगाखेडकर ने बताया कि रैपिड एंटीबॉडी किट की आपूर्ति लियोजोन ओर वानफ्लो कंपनी ने की है। इसका इस्तेमाल कोरोना संक्रमण के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी क्षमता का पता लगाने के लिए किया जाता है। इससे कोरोना का इलाज नहीं किया जाता।
उन्होंने बताया कि मानव शरीर में एंटीबॉडीज ( Antibody ) दो प्रकार के हाते हैं। पहला आईजीएम एंटीबॉडी है जो कुछ दिनों से अधिक नहीं रहता है। आईजीएम से इस बात का पता चलता कि मानव शरीर में संक्रमण नया है या पुराना। दूसरा आईजीजी एंटीबॉडी से इस बात का पता चलता है कि एंटीबॉडी सिस्टम में सुधार जारी है और इससे केवल पुराने संक्रमण के बारे में पता चलता है। इसलिए इस किट का इस्तेमाल संक्रमण का रुझान जानने में किया जाता हैं। ताकि इस बात का निगरानी संभव हो सकते कि लोगों के संक्रमण किस तरह का फैल रहा हैं। संक्रमण या है पुराना।
कोरोना योद्धाओं पर हमलों से बिहार के DGP नाराज, आरोपियों को जेल में सड़ाने की धमकी दी चीनी किट्स की गुणवत्ता को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस किट से परीक्षणों की संवेदनशीलता और विशिष्टता कम है। इसलिए इनका इस्तेमाल इलाज के लिए न होकर कोविड-19 ( Covid-19 ) के निगारानी के लिए ज्यादा होता है। इसकी उपयोगिता के बारे में उन्होंने बताया कि इस किट के इस्तेमाल का मकसद संक्रमण के रुझान को जानना है। इसलिए इसमें थोड़ी त्रुटि होने पर भी बड़ें स्तर पर सैंपलिंग में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। इससे हमारा अवलोकन व जांच का काम प्रभावित नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि अभी तक देशभर में 2,90,401 से अधिक नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है। इनमें से 30,043 बुधवार को ही हुआ है। आईसीएमआर ने कहा कि वर्तमान में हमारे पास 42, 418 नमूनों का परीक्षण करने की क्षमता है और अगर प्रयोगशालाएं दो शिफ्टों में काम करना शुरू करती हैं तो वे हर दिन लगभग 78,000 परीक्षण कर सकती हैं।
इसके साथ ही गंगाखेडकर ने इस बात का भी जिक्र किया है कि आगाामी 8 सप्ताह के लिए हमारे पास परीक्षण किट का पर्याप्त भंडार है।