Covaxin के असर पर उठे सवाल, भारत बायोटेक के एमडी ने कही बड़ी बात
भारत में कोवैक्सिन के आपातकालीन इस्तेमाल अधिकार को दी गई मंजूरी।
वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक के प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने दिए जवाब।
कोवैक्सिन के असर का डेटा मांगने और राजनीतिकरण किए जाने से नाराज थे।
COVaxin manufacturer Bharat Biotech MD reacts on it’s efficacy data concern
नई दिल्ली। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा विकसित की गई देसी कोरोना वायरस की वैक्सीन कोवैक्सिन के असर के आंकड़ों के बीच, कंपनी के प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने कहा कि इसका टीका सुरक्षित है और कंपनी भारत के अलावा 12 से अधिक देशों में परीक्षण कर रही है। समाचार एजेंसी एएनआई ने एला के हवाले से बताया, “हम ऐसी कंपनी नहीं हैं, जिसे टीकों में अनुभव ना हो। टीकों में हमारे पास जबरदस्त अनुभव है।”
उन्होंने यह भी कहा, “हम 123 देशों तक पहुंच रहे हैं। हम एकमात्र ऐसी कंपनी हैं, जिसे व्यापक अनुभव है और रिव्यू जर्नल्स में इतना और व्यापक प्रकाशन मिला है।” एला ने कहा, “हम भारत में केवल क्लीनिकल ट्रायल्स ही नहीं कर रहे हैं। हमने ब्रिटेन सहित 12 से अधिक देशों में क्लीनिकल ट्रायल्स किए हैं। हम पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और अन्य देशों में क्लीनिकल परीक्षण कर रहे हैं। हम सिर्फ एक भारतीय कंपनी नहीं हैं, हम वास्तव में एक वैश्विक कंपनी हैं।”
भारत सरकार ने हाल ही में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका कोविशिल्ड के आपातकालीन इस्तेमाल अधिकार को मंजूरी दी थी और इसके बाद स्वदेशी रूप से विकसित कोवैक्सिन को भी। जल्द ही विशेषज्ञों द्वारा कोवैक्सिन के डेटा की मांग की गई।
इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने रविवार को कहा था कि कोवैक्सिन एक पूरे निष्क्रिय वायरस पर आधारित है, जिसमें यूके वेरिएंट सहित म्यूटेडेट कोरोना वायरस स्ट्रेन को निशाना बनाने की क्षमता है, और यह इसे सशर्त अनुमति देने का एक प्रमुख कारण था।
वैक्सीन को लेकर छिड़े विवाद पर बोलते हुए एला ने कहा, “अब जब टीके का राजनीतिकरण किया जा रहा है, मैं यह स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूं कि मेरे परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा नहीं है।”
एला ने आगे कहा, “आपातकालीन इस्तेमाल के लिए कोवैक्सिन की स्वीकृति भारत में नवाचार और बेहतरीन उत्पाद विकास के लिए एक लंबी छलांग है। यह राष्ट्र के लिए गर्व का क्षण है और भारत की वैज्ञानिक क्षमता में एक बड़ा मील का पत्थर और भारत में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बेहतरीन शुरुआत है।”